फैसले के समय ये थे हस्तिनापुर आैर चंडीगढ़ को विकसित करने के फैसले के समय यहां हुए कांग्रेस के अधिवेशन में महात्मा गांधी को छोड़कर देश के शीर्ष नेता शामिल हुए थे। इस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित गौरी शंकर, खान अब्दुल गफ्फार खां, मौलाना अबुल कलाम आजाद समेत तमात कांग्रेसी नेता शामिल हुए थे। इस अधिवेशन में शामिल वयोवृद्ध धर्म दिवाकर ने बताया कि महात्मा गांधी काे इसमें शामिल होना था, लेकिन वह देश में शांति व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से जगह-जगह जा रहे थे। धर्म दिवाकर ने बताया कि इस अधिवेशन में देश के गणतंत्र पर न सिर्फ बात हुर्इ थी, बल्कि उत्तर भारत के दो स्थानों को उनके एेतिहासिक महत्व को समझते हुए इन्हें विकास करने का निर्णय लिया गया, लेकिन हस्तिनापुर में विकास की कर्इ योजनाएं कारगर नहीं हो पायी, हालांकि यहां जो चुनाव जीते हैं वे विकास के नाम पर ही, जबकि चंडीगढ़ काफी आगे बढ़ गया।
वादा भी पूरा नहीं कर पाए वरिष्ठ कांग्रेसी धर्म दिवाकर का कहना है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बनने के बाद जब शहीद स्मारक की नींव रखने आए थे, तब भी यह चर्चा हुर्इ थी कि चंडीगढ़ ने जितनी तरक्की की उतनी हस्तिनापुर में नहीं। इसके बाद प्रधानमंत्री नेहरू यहां का विकास करने का वादा करके गए थे, लेकिन तब से अब तक वैसा विकास नहीं हो पाया। इसलिए तभी से लोग इसे द्रौपदी द्वारा श्रापित क्षेत्र मानने लगे।