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मेरठ

हस्तिनापुर आैर चंडीगढ़ को विकसित करने का हुआ था फैसला, लेकिन हस्तिनापुर में रहा द्रौपदी का श्राप…!

गणतंत्र दिवस पर विशेषः आजादी मिलने से एक साल पहले कांग्रेस के आखिरी अधिवेशन में देश के गणतंत्र के साथ इस पर भी हुर्इ थी चर्चा
 

मेरठJan 25, 2018 / 09:46 pm

sanjay sharma

meerut
मेरठ। देश को आजादी मिलने के एक साल पहले कांग्रेस का आखिरी अधिवेशन मेरठ के विक्टोरिया पार्क मैदान में 23 से 26 नवंबर 1946 को हुआ था। इस अधिवेशन में आजादी की सुगंध आ गर्इ थी, इसलिए यहां देश का गणतंत्र कैसा हो, इसकी खूब चर्चा हुर्इ थी। साथ ही उत्तर भारत के दो एेतिहासिक स्थल जनपद मेरठ के हस्तिनापुर आैर चंडीगढ़ को विकसित करने का कांग्रेस के शीर्ष नेताआें ने फैसला लिया था। आजादी के बाद चंडीगढ़ तो समय के साथ देश के चुनिंदा स्थलों में शुमार हो गया, लेकिन हस्तिनापुर में एेसा नहीं हो पाया। महाभारत के इतिहास को समेटे यह पांडव नगरी में आज भी विकास नहीं हो पाया। बुजुर्ग हस्तिनापुर का विकास नहीं होने वजह द्रौपदी के श्राप को बताते हैं, जबकि इस क्षेत्र के विकास की कर्इ योजनाएं तो बनी, लेकिन फलीभूत नहीं होे पायी।
फैसले के समय ये थे

हस्तिनापुर आैर चंडीगढ़ को विकसित करने के फैसले के समय यहां हुए कांग्रेस के अधिवेशन में महात्मा गांधी को छोड़कर देश के शीर्ष नेता शामिल हुए थे। इस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित गौरी शंकर, खान अब्दुल गफ्फार खां, मौलाना अबुल कलाम आजाद समेत तमात कांग्रेसी नेता शामिल हुए थे। इस अधिवेशन में शामिल वयोवृद्ध धर्म दिवाकर ने बताया कि महात्मा गांधी काे इसमें शामिल होना था, लेकिन वह देश में शांति व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से जगह-जगह जा रहे थे। धर्म दिवाकर ने बताया कि इस अधिवेशन में देश के गणतंत्र पर न सिर्फ बात हुर्इ थी, बल्कि उत्तर भारत के दो स्थानों को उनके एेतिहासिक महत्व को समझते हुए इन्हें विकास करने का निर्णय लिया गया, लेकिन हस्तिनापुर में विकास की कर्इ योजनाएं कारगर नहीं हो पायी, हालांकि यहां जो चुनाव जीते हैं वे विकास के नाम पर ही, जबकि चंडीगढ़ काफी आगे बढ़ गया।
वादा भी पूरा नहीं कर पाए

वरिष्ठ कांग्रेसी धर्म दिवाकर का कहना है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बनने के बाद जब शहीद स्मारक की नींव रखने आए थे, तब भी यह चर्चा हुर्इ थी कि चंडीगढ़ ने जितनी तरक्की की उतनी हस्तिनापुर में नहीं। इसके बाद प्रधानमंत्री नेहरू यहां का विकास करने का वादा करके गए थे, लेकिन तब से अब तक वैसा विकास नहीं हो पाया। इसलिए तभी से लोग इसे द्रौपदी द्वारा श्रापित क्षेत्र मानने लगे।

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