सूरजकुंड स्पोर्ट्स मार्केट में क्रिकेट सामग्री को बनाने का इतिहास आजादी के समय से चलता आ रहा है। साल 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद सियालकोट से आए रिफ्यूजी ने ही मेरठ में बल्ले का निर्माण किया था। बैट बनाने के साथ ही रिफ्यूजी ने मेरठ में कई तरह के अन्य स्पोर्ट्स सामग्री का भी निर्माण किया है। अपने काम में इतने माहिर हैं कि उनके बनाए गए बैट लगभग 60 देशों में सप्लाई हो रहे हैं।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी मेरठ की बल्ले से धूम मचा चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रिकी पोंटिंग, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, युवराज सिंह, रोहित शर्मा सहित अन्य ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो मेरठ में विशेष रूप से अपने लिए बल्ले तैयार करवाते हैं। सुरेश रैना और ऋषभ पंत भी परतापुर मेरठ की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से ही बल्ले लेने आते रहे हैं।
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आज के समय में लोग आधुनिक मशीन का उपयोग करके जल्द ही अपना काम पूरा करना चाहता है। लेकिन मेरठ में आज भी कारीगर हाथ से बैट की फिनिशिंग करते हैं। भले ही बल्ले का निर्माण एक घंटे में क्यों न होता हो। मेरठ के कारीगर मशीन से फिनिशिंग के बाद हाथों की कारीगरी अवश्य करते हैं।हिंदू महासभा ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, लाल किले का नाम ‘भगवा किला’ किया जाए
75 से लेकर 20,000 रुपए तक के बैट मिलते हैं यहांकारीगरों का कहना है कि मशीन से सभी बल्ले की फिनिशिंग एक तरह होती है। जब ग्राहक उनसे बल्ले खरीदने आते हैं, तो वह बल्ले को अपने अनुसार बदलाव करना चाहते हैं। इसीलिए हाथ से बने बल्ले ज्यादा पसंद आते हैं। वहीं बैट की कीमत की अगर बात की जाए तो 75 से लेकर 20,000 रुपए तक की बैट यहां मिलती है। विशेष ऑर्डर पर बनने वाले बल्ले की कीमत काफी होती है।