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मेरठ

यूपी के इस शहर के सवर्णों ने नरेंद्र मोदी से मांग लिए ये दो विकल्प, भाजपाइयों में मच रही अफरातफरी

एससी-एसटी एक्ट को लेकर भारत बंद के दौरान विरोध-प्रदर्शन
 

मेरठSep 07, 2018 / 09:27 am

sanjay sharma

meerut

यूपी के इस शहर के सवर्णों ने नरेंद्र मोदी से मांग लिए ये दो विकल्प, भाजपाइयों में मच रही अफरातफरी

मेरठ। केंद्र सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला पलटे जाने के खिलाफ सवर्ण संगठनों ने आज ‘भारत बंद’ का ऐलान किया था। मेरठ में इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया था, लेकिन मेरठ में इस फैसले के विरोध में अनोखे तरीके से प्रदर्शन कर सवर्ण समाज के लोगों ने सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग की इच्छा जाहिर की। सवर्ण समाज के लोग बड़ी संख्या में दोपहर बाद कमिश्नरी पार्क पर हाथ में बैनर और स्लोगन लिए पोस्टर लेकर पहुंचे और शांतिप्रिय तरीके से वहां पर प्रदर्शन किया।
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प्रधानमंत्री से मांगी इच्छा मृत्यु

सवर्ण संरक्षण सभा द्वारा आयोजित प्रदर्शन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया कि एससी-एसटी एक्ट वापस लो या फिर हमें इच्छामृत्यु दो। सवर्ण सभा के अभिषेक गहलौत के नेतृत्व में सैकड़ों लोग कमिश्नरी पार्क में एकत्र हुए और धरना दिया। धरने में ही आगे की रणनीति तय की गई। जिसमें शीध्र ही एक बड़ी महापंचायत करने का ऐलान किया गया। इस दौरान श्रीकृष्ण गुप्ता, मनीष पहलवान, लव खारी, निनिन गर्ग, अनुज कौशिक, मोहित कौशिक, दीपक शर्मा आदि शामिल रहे।
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अन्य जगहों पर दिखार्इ दिया असर

भारत बंद का असर पश्चिम उप्र मेें कम ही दिखाई दिया। इसका सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में देखने को मिल रहा है। इन राज्यों में कई जगह ट्रेनों को रोका गया है। कई जगहों पर प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी भारत बंद को सवर्ण समाज का काफी समर्थन मिल रहा है। प्रदेश में सुबह से ही कई जगहों पर बाजार बंद दिखाई दिए। प्रदेश में वाराणसी, लखनऊ, इलाहाबाद में सवर्ण समुदाय के लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए।
यह था सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महीने पहले एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि इन मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा बल्कि पहले मजिस्ट्रेटी जांच होगी और फिर तय किया जाएगा कि मामला दर्ज किया जाए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने विधेयक लाकर कानून को उसके पहले वाले स्वरूप में बहाल कर दिया है। इससे सवर्ण और ओबीसी समुदाय के लोग नाराज हैं।

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