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यूपी के मेरठ में लॉकडाउन के बीच कबूतरबाजी को लेकर दो पक्षों में ताबड़तोड़ फायरिंग दरअसल, कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम की वजह से इस बार प्रशासन ने जिले में लगने वाली पशु पैठ को लगाने की अनुमति नहीं दी थी। मेरठ में हापुड़ रोड के अलावा, देहात क्षेत्रों में भी बकरा ईद से एक महीने पहले पैठ लगनी शुरू हो जाती है। इन पशु पैठों में राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के अलावा दूसरे अन्य राज्यों से भी पशु व्यापारी आते थे। इस एक महीने के दौरान बकरों समेत लाखों पशुओं की खरीद-फरोख्त होती थी। इस बार बकरा पैठ नहीं लगने से व्यापारियों ने गली-गली में बकरों की बिक्री की है।
बकरा व्यापारी हाजी सुल्तान ने बताया कि जमनापरी, तोतापरी और देसी नस्ल के बकरों की कुर्बानी ज्यादा हुई है। हर वर्ष जिले की मंडियों में लाखों पशुओं की खरीद-फरोख्त होती थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते पशुओं की बिक्री कम हुई है। वो भी लोगों ने गलियों में बेचे हैं। इसके अलावा घर में पलने वाले बकरों की कुर्बानी की गई। चमड़ा व्यापारी रोशन अहमद ने बताया कि मेरठ में लगभग 16 करोड़ रुपए के पशुओं की कुर्बानी हुई है।
ईद-उल-अजहा मुस्लिम बाहुल्य गलियों में सन्नाटा रहा। लोगों ने अपने अपने घरों में बकरों की कुर्बानी की। बकरीद लगतार तीन दिन तक मनाई जाती है। इसलिए सोमवार को भी कुर्बानी का सिलसिला जारी रहा। सोमवार को लॉकडाउन खुलने के बाद से शहर में चारों ओर चहल पहल का माहौल नजर आया। सुबह से ही बाजारों में लोगों की भीड़ दिखाई दी।