हजरत अली की हत्या उस वक्त हुई जब वे नमाज पढ़ रहे थे और सज्दे में थे। जालिम खारजी अब्दुर्रहमान बिन मुल्जिम ने धोखे से हजरत अली पर वार किया था। हजरत अली ने अपनी हयात को उसूलों पर जिया था। वे कभी पीछे से वार नहीं करते थे, चुनौती देकर ही दुश्मन से जंग लड़ते थे। हजरत अली ने अपने जीवन काल में अनेकों लड़ाइयां लड़ी और फतेह हासिल की। इस्लाम में उनका नाम वीर सूरमा के नाम से जाना जाता है। हजरत अली जहां खड़े हो जाते थे, जीत उनके कदम चूमती थी।
यह भी देेखें : आज़म खान ने पीएम मोदी पर बोला करारा हमला कारी शफीकुर्रहमान ने बताया कि हजरत अली का जन्म 13 रजब 30 आमुलफील को हुआ था। दिन शुक्रवार का था। खाने खाबा में आपका जन्म हुआ था। हजरत अली के पालन-पोषण की जिम्मेदारी हजरत मोहम्मद ने संभाली थी। हजरत मोहम्मद हजरत अली से बेइंतेहा प्रेम करते थे और हजरत अली को भी हुजूर मोहम्मद सल्ल. से बेहद
प्यार था। पिता का नाम अबुतालिब और पेगम्बर इस्लाम के पिता अब्दुल्लाह सगे भाई थे। हजरत अली का विवाह पैगम्बर मोहम्मद सल्ल. की बेटी हजरत फातिमा रजि. से हुआ था। इतिहास है हजरत अली ने बचपन से ही हर मौके पर हजरत मोहम्मद सल्ल. की सहायता की थी।
, देखकर इतिहासकार भी रह गए दंग
हजरत उस्मान की हत्या का लगा था आरोप जंगे जमाल के दौरान मुसलमानों का एक गुट हजरत अली के विरोधी में था। इसलिए हजरत अली पर खलीफा होते ही उसने उस्मान की हत्या का आरोप आप पर लगा दिया।
तीन रोजा मजलिसों का आगाज हजरत अली की यौमे शहादत के सिलसिले में सोमवार से शहर में मजलिसों का दौर शुरू हो गया। घंटाघर स्थित छोटी कर्बला में रात साढ़े आठ बजे तीन रोजा मजलिस का आगाज हुआ। संयोजक अली हैदर रिजवी ने बताया कि इमाम बारगाह जाहिदियान सुभाषनगर, वक्फ मनसबिया, शाह जलाल हॉल सेक्टर-4 मस्जिद अलमुर्तजा जैदी सोसाइटी, इमामबाड़ा अबू तालिब में मजलिसें शुक्रवार से शुरू हो जाएगी।
मस्जिद अलमुर्तजा में 21वें रोजे की सुबह को ताबूत बरामद होगा। जबकि शाम को जाहिदियान में बरामद होगा। उन्होंने बताया कि मजलिस में अंजमने फौजे हुसैनी, तंजीमे अब्बास आदि सभी अंजुमनों की भागीदारी रहेगी। अली हैदर रिजवी ने बताया कि 20वें रोजे की रात्रि को जिला बिजनौर के जोगिरमपुरी में हजरत अली की दारगाह में होगी।