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‘पीके’ के साथ मिलकर भुवनेश्वर कुमार देश के लिए करना चाहते थे ये काम, उनका यह सपना रह गया अधूरा छोटे शहर से निकला था यह ‘स्विंग का किंग‘ 2005 में यूपी रणजी टीम में चयन होना आैर अपने धमाकेदार प्रदर्शन से दो साल के भीतर ही इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण करना, बड़े से बड़े क्रिकेटर एेसा नहीं कर पाए हैं। दरअसल, मेरठ में पले-बढ़े आैर क्रिकेट की एबीसी सीखने वाले प्रवीण ने उस समय बड़ा संदेश देश के युवा क्रिकेटरों को दिया था कि छोटे शहरों के क्रिकेटर भी इंटरनेशनल क्रिकेट तक पहुंच सकते हैं। पीके को नजदीक से जानने वाले जानते हैं कि उसने किस तरह मैदान में मेहनत करके अपनी नियंत्रित आैर चकमा देने वाली स्विंग गेंदबाजी को कितने कम समय में निखारा था। 2007 में एनकेपी साल्वे चैलेंजर ट्राफी में इंडिया रेड की आेर से खेलते हुए प्रवीण कुमार ने अपनी करामाती स्विंग गेंदबाजी से सभी को अचंभे में डाला था। इसी वजह से उनका चयन भारत का दौरा कर रही पाकिस्तान टीम के खिलाफ किया गया। पांचवे मैच में जब उनकी स्विंग गेंदबाजी इंटरनेशनल लेवल पर सभी ने देखा था तो सब चकरा गए थे।
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Big Breaking- इस दिग्गज भारतीय क्रिकेटर ने वर्ल्ड कप से पहले लिया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास प्रवीण का स्वागत इतिहास बन गया चैलेंजर ट्राफी के दौरान ही जब प्रवीण का चयन टीम इंडिया के लिए किया गया तो मेरठ में हर कोर्इ झूमा था, क्योंकि यह पहला मौका था, जब यहां के किसी क्रिकेटर का चयन टीम इंडिया में हुआ था। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरठ जैसे छोटे से शहर का क्रिकेटर भी यह कर सकता है। जिस दिन प्रवीण का चयन हुआ तो शाम से हर कोर्इ टीवी खोलकर बैठा था। हर कोर्इ हैरत में इसलिए था कि जिस शहर में क्रिकेटरों के लिए अच्छा मैदान आैर इंफास्ट्रक्चर तक न हो, वहां का कोर्इ युवा क्रिकेटर भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल भी हो सकता है। उस समय तो आर्इपीएल भी नहीं थी, वह भी 2008 में शुरू हुर्इ, इसलिए छोटे शहर से बड़े क्रिकेटर के रूप में प्रवीण कुमार सबसे पहला आैर बड़ा उदाहरण है।
उस दिन अजब नजारा था मेरठ में प्रवीण के पिता सकत सिंह की पुलिस में बागपत में तैनाती थी। वहां के एसपी ने पिता को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने शुभकामनाएं देते हुए छुट्टी देकर घर मेरठ भेजा। उनके घर पर अलग नजारा था। बागपत रोड स्थित मलियाना में जैसे जश्न का माहौला था आैर उनके घर में शहर के विभिन्न इलाकों से क्रिकेट प्रेमी उनके घर परिजनों को बधार्इ देने पहुंच रहे थे। मेरठ की मीडिया भी भागदौड़ करके परिजनों के इंटरव्यू आैर अलग स्टोरी दे रही थी तो दिल्ली की मीडिया भी अपनी आेबी वैन के साथ यहां पहुंचकर घर का लाइव कवरेज दिखा रही थी। यह तब था जब पीके चैलेंजर ट्राफी खेलकर घर नहीं लौटे थे।
प्रवीण के लौटने पर सम्मान में कर्इ कार्यक्रम प्रवीण कुमार जब टीम में चयन होने के बाद चैलेंजर ट्राफी खेलकर मेरठ पहुंचे तो उनका शानदार स्वागत हुआ, एेसा स्वागत शायद ही मेरठ में कभी किसी का हुआ हो। मेरठ के परतापुर से लेकर घर तक उनका रोड शो रहा आैर इसी दौरान कर्इ जगह उनके सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। यहां यह सब कहने का मतलब इतना है कि प्रवीण ने संदेश दिया था कि मेरठ जैसे शहर से भी इंटरनेशनल क्रिकेट तक अपनी मेहनत आैर सुविधाआें के अभाव में पहुंचा जा सकता है। पीके के होम ग्राउंड विक्टोरिया पार्क में तब पिच के लिए रोलर तक नहीं था। इसके बाद उन्होंने अपनी इन स्विंग आैर आउट स्विंग से दुनिया के बड़े से बड़े बल्लेबाज को अपने सामने नतमस्तक कर दिया। आस्ट्रेलिया के रिकी पोटिंग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। प्रवीण की गेंदबाजी की बदौलत ही भारतीय टीम पहली बार आस्ट्रेलिया में आस्ट्रेलिया को हराकर ट्रार्इ सीरीज जीती थी। बीच-बीच में प्रवीण कुमार को चोट लगाने आैर कुछ विवादों के चलते वह वापसी नहीं कर पाए, लेकिन प्रवीण ने युवा क्रिेकटरों को जो संदेश दिया, उससे जरूर युवा क्रिकेटरों को दिशा मिली आैर हौसला बढ़ा।
प्रवीण कुमार का यह रहा कॅरियर टेस्टः मैच- छह, विकेट-27 वनडेः मैच- 68, विकेट-77 टी-20: मैच-10, विकेट-8 प्रथम श्रेणीः मैच-66, विकेट- 267