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मेरठ

पढ़ाई के साथ अब बच्चों की सेहत सुधारेगा शिक्षा विभाग, परिषदीय विद्यालयों में अब होंगे ये काम

मिड-डे-मील क्यारी में उगार्इ जाएंगी ताजी हरी सब्जियां, मध्यान्ह भोजन में मिलेगी खाने में
 

मेरठFeb 23, 2018 / 05:15 pm

sanjay sharma

meerut
मेरठ। परिषदीय विद्यालयों में मिलने वाले मिड-डे मील में अगले सत्र से बच्चों को स्कूल में हरी सब्जियां खाने को मिलेंगी। ये सब्जियां स्कूल परिसर में ही उगाई जाएंगी। इसका मकसद बच्चों को हरी जैविक सब्जियों की उपलब्धता तथा कृषि विज्ञान का प्रायोगिक अध्ययन कराना भी है। इसके लिए ऐसे विद्यालयों को चिह्नित किया जाएगा, जिनमें काफी भूमि खाली पड़ी हुई है। जमीन की अधिकता के कारण भूमि का प्रयोग इस कार्य के लिए किया जाएगा। इससे बच्चों को विभिन्न प्रकार की घास, पेड़-पौधों और फल-सब्जियों के बारे में जानकारी भी होगी। एक तरह से परोक्ष तौर पर कृषि विज्ञान की प्रयोगात्मक शिक्षा भी इन बच्चों को मिलेगी।
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समय के साथ बदल रही व्यवस्था

समय के साथ व्यवस्था बदली और अब परिषदीय स्कूलों में काफी बदलाव आया। खाली जगह में कक्षाएं, शौचालय और रसोई आदि बन जाने के कारण स्कूलों में इस कार्य के लिए जगह नहीं बची थी। इसी के साथ स्कूलों में फल-सब्जियां उगाने का सिलसिला भी बंद हो गया था। मौजूदा स्थिति यह है कि कुछ स्कूलों में तो बच्चों के पढ़ने और शिक्षा संबंधी क्रियाकलापों के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं बचा है, जबकि शहरी क्षेत्र में तो काफी विद्यालय किराए की इमारतों में संचालित किए जा रहे हैं।
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खाली पड़े परिसरों का उपयोग

शासन व प्रशासन ने एक बार फिर पुरानी परम्परा को शुरू करने की कवायद तेज कर दी है। अधिकारियों के अनुसार परिषदीय स्कूलों में खाली पड़ी अनुपयोगी भूमि पर पौधे और बेल वाली हरी सब्जियां उगाई जाएंगी। इसके लिए ऐसे स्कूलों का चयन होगा, जिनके परिसर में भूमि खाली पड़ी है। बच्चों के माध्यम से क्यारियां बनाई जाएंगी, जिन्हें एमडीएम क्यारी (मिड डे मील क्यारी) का नाम दिया जाएगा। सब्जियों को मिड डे मील में प्रयोग किया जाएगा, जिससे बाजार से सब्जियां खरीदने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
अपनाई जाएगी जैविक पद्धति

स्कूलों में उगाई जाने वाले फल और सब्जियों को सेहतमंद बनाने के लिए रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाएगा, बल्कि जैविक पद्धति से ये सब्जियां उगाई जाएंगी। इसका मकसद है कि बच्चों को जैविक पद्धति से उगाई गई सब्जियां खाने को मिले और उनकी सेहत पर इसका सीधा असर दिखाई दे। साथ ही बच्चों को बचपन से ही जैविक पद्धति से जुड़ाव हो सके। उप शिक्षा निदेशक बेसिक ललिता प्रदीप ने बताया कि इस योजना से एक तो स्कूल परिसर में खाली पड़ी भूमि का उपयोग हो सकेगा। दूसरा, बच्चों को खाने के लिए विटामिन और प्रोटीन सब्जी के द्वारा मिल सकेगा।

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