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मेरठ

इस अहम सीट पर चुनाव लड़ने से रोका तो अमरण अनशन पर बैठा ये संगठन

सैकड़ों कार्यकर्ता नामांकन के लिए पहुंचे तो जिला प्रशासन में मची अफरातफरी

मेरठMar 24, 2019 / 04:57 pm

sanjay sharma

meerut

इस अहम सीट पर चुनाव लड़ने से रोका तो अमरण अनशन पर बैठा ये संगठन

मेरठ। चुनाव लड़ना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। उसके इस कर्तव्य से कोई नहीं रोक सकता। अगर कोई रोकता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। यह कहना था आम नागरिक यूनियन के अभिषेक द्विवेदी का। बताते चलें कि मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के लिए जब नामांकन शुरू हुए थे, उस दौरान नामांकन पत्र लेने के लिए नागरिक यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ता कलक्ट्रे पहुंच गए थे।
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इससे प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। प्रशासन को इस बात को लेकर परेशान हो उठा कि इतनी बड़ी संख्या में अगर प्रत्याशी हो गए तो उनके लिए चुनाव करवाने में काफी कठिनाई आएगी।इसको लेकर प्रशासन ने कड़ा रूख अपनाया और मौलिक अधिकारों के चलते नामांकन करने पहुंचे तीन लोगों को जेल भेज दिया। जिसके विरोध में आज मेरठ कमिश्नरी कार्यालय चौधरी चरण सिंह पार्क पर आम नागरिकों द्वारा आमरण अनशन पर धरना शुरू कर दिया गया। अभिषेक द्विवेदी ने बताया कि 3 दिन पूर्व 1857 के मौलिक अधिकारों के चलते आम आदमी को भी चुनाव लड़ने का हक दिया गया है। जिसमें कोई भी नागरिक चुनाव की प्रक्रिया में नामांकन कर सकता है। उसी के चलते सैकड़ों की तादात में आम नागरिक यूनियन द्वारा कलेक्ट्रेट पर नामांकन करने के लिए लोगों का जत्था पहुंचा।
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जिसमें पहले दिन प्रशासन ने सैकड़ों की तादात में नामांकन करने आए लोगों को नामांकन प्रक्रिया भरने से मना कर दिया गया। प्रशासन की काफी गहमागहमी के बाद लगभग 20 लोगों का नामांकन पर्चा भरा गया। उसी दौरान अगले दिन भी जब आम नागरिकों की एक यूनिट कलेक्ट्रेट पर पर्चा भरने के लिए पहुंची तो शासन-प्रशासन के सुरक्षाकर्मियों ने उन पर धारा 144 का उल्लंघन करते हुए उन्हें वहां से भगा दिया। साथ ही तीन लोगों की भी गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया गया। जिससे आम नागरिकता को ठेस पहुंची है और जिस के संदर्भ में 1857 के मौलिक अधिकारों को दोबारा लाने के लिए आम नागरिकों की यूनिट ने आमरण अनशन किया। उनका कहना है कि जब तक हमारे जो तीन साथी प्रशासन द्वारा जेल भेजे गए हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए और जो भी आम नागरिक चुनाव 2019 में नामांकन करना चाहते हैं, उन्हें 58 के तहत मौलिक अधिकारों के दायरे में लाकर चुनाव के नामांकन प्रक्रिया पूरी कराई जाए। उन्होंने प्रशासन को धमकी दी कि अगर उनकी इन मांगों को शासन-प्रशासन द्वारा पूरा नहीं किया गया तो वह लगातार ही अनशन पर बैठे रहेंगे।

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