यह भी पढ़ेंः
चांद दिखते ही यहां होने लगी थी नमाज की तैयारी, लेकिन इस बात पर आ गए आमने-सामने यह भी पढ़ेंः
यहां दो बच्चों की शादी मौत के 17 साल बाद हुर्इ, डीजे पर जमकर डांस, खूब उड़ार्इ दावत एक हजार साल से पढ़ी जा रही जुमे की नमाज मस्जिद के मुतवल्ली ने बताया कि जिस समय मुल्क में महमूद गजनवी ने आक्रामण किया था। उस समय वह लाहौर की तरफ से भारत में घुसा और सारे शहरों को रौंदता हुआ दिल्ली जा रहा था तब वह इस मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए रुका था। बताया जाता है कि उस दिन जुमा था और उसके साथ करीब पचास हजार लोगों ने इस मस्जिद में एक साथ नमाज पढ़ी थी। तभी से मेरठ की इस
जामा मस्जिद में हर जुमे को नमाज अदा की जाती है।
यह भी पढ़ेंः
योगी राज में पुलिस कर रही बड़ा खेल, इस बात पर भिड़ गए पुलिस वाले
मिट्टी की बनी है मस्जिद एक हजार साल पुरानी इस मस्जिद के निर्माण में अधिकांश मिट्टी का प्रयोग किया गया है। मिट्टी के साथ ही इसमें चूने का प्रयोग भी हुआ है।
मस्जिद में है चारों तरफ हैं नुकीले दरवाजे इस मस्जिद के चारों तरफ दरवाजे है। इस दरवाजों की खासियत हैं कि यह दरवाजे नुकीले हैं। बताया जाता है कि मुगल सल्तनत के दौरान हुमायूं ने सभी धार्मिक स्थलाें की रक्षा के लिए उनके मुख्य द्वारों पर लगे दरवाजे पर लोहे के नुकीली मोटी कील लगवाई थी। यह सुरक्षा के लिए थी। उस दौरान हमले आदि होने पर दरवाजे आदि तोड़ने के लिए हाथियों का प्रयोग किया जाता था। हाथी अपने मस्तक के प्रहार से दरवाजों को तोड़ देता था। इस मस्जिद को देखने के लिए बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं।
यह भी पढ़ेंः
इन जनपदों में मिलने जा रही है खास छूट, कहीं इसमें आप तो शामिल नहीं नहीं लेते सरकारी इमदाद खुद करते हैं देखभाल मस्जिद के केयरटेकर शाह के अनुसार इसके मेंटिनेंस के लिए कोई सरकारी इमदाद आदि नहीं ली जाती। इसकी देखभाल और इसका मेंटिनेंस खुद समुदाय के लोग मिलकर करते हैं।