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किसानों की परवाह करने वाले जरा इनकी फसल पर नजर डाल लें, धरती पुत्र खुद सड़क पर फेंक रहे! मेला नौचंदी के लिए फोर्स ही नहीं था कमिश्नर डा. प्रभात कुमार ने दस मार्च को मेला नौचंदी का उद्घाटन किया था आैर उन्होंने नौचंदी मेले में रौनक लाने के लिए जल्द ही दुकान लगाए जाने का आह्ववान किया था। दुकानदार अपनी दुकानें लाने भी लगे थे कि दो अप्रैल को एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के संशोधन के विरोध में दलित समाज ने भारत बंद से शहर का माहौल असामान्य कर दिया। दो अप्रैल को उपद्रव के बाद से शोभापुर, कचहरी, दिल्ली-देहरादून बार्इपास समेत कर्इ स्थानों पर तभी से पुलिस, पीएसी आैर आरएएफ तैनात है। जिला आैर पुलिस प्रशासन ने मेला नौचंदी के लिए पर्याप्त फोर्स नहीं होने की बात कही थी। इसलिए दुकानदार भी यहां बिना फोर्स के दुकान लगाने के लिए तैयार नहीं हुए। जिला प्रशासन ने अांबेडकर जयंती के बाद फोर्स उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
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500 माला आैर 54 वाहनों का काफिला…इस निशानेबाज के स्वागत ने पीछे छोड़ा यूपी के मंत्रियों को! अब नहीं बदल रही मेले की स्थिति 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती हो जाने के बाद भी मेला नौचंदी की तस्वीर बेरंग बनी हुर्इ है। न तो यहां पर्याप्त फोर्स पहुंचा है आैर न ही दुकानें। इसलिए जो मेला अप्रैल के आखिर में तय कार्यक्रम के अनुसार खत्म होना था, अब वह संभवतः मर्इ के आखिर तक चलेगा। मर्इ में बारिश की अधिक संभावना रहती है, इसलिए मेले में दुकानदारों को अभी से घाटे की स्थिति दिखार्इ दे रही है। वैसे भी फोर्स 14 अप्रैल के बाद आ जानी चाहिए थी, लेकिन यहां पूरा फोर्स भी नहीं आया है।
कभी तीन दिन का लगता था मेला मेला नौचंदी दशकों से मेरठ में लग रहा है। 19वीं शताब्दी के शुरू में यह तीन दिन के लिए लगता था। फिर दस दिन, 15 दिन के बाद अब यह मेला एक महीने से ज्यादा समय के लिए लगता है। नौचंदी मेला उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है, लेकिन इस बार यह मेला बेदम आैर बेरंग हो गया है।