वैसे तो दो गुप्त नवरात्र भी होते हैं। लेकिन गुप्त नवरात्र सिद्धिप्राप्ति के लिए होते हैं। इसलिए मां दुर्गा को समर्पित यह दो नवरात्रों का विशेष महत्व होता है। ये दो नवरात्र चैत्र और शारदीय होते हैं। इस बार 7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र लग रहे हैं। शरदीय नवरात्र आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होते हैं। नौ दिन तक मनाए जाने वाले इस नवरात्र में मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित कैलाश नाथ द्विवेदी के अनुसार इस वर्ष नवरात्रि का आरंभ गुरुवार को हो रहा है। नवरात्रि का समापन भी गुरुवार 14 अक्टूबर को होने जा रहा है। ऐसे में इस साल नवरात्रि केवल 8 दिन के ही माने जाएंगे। जबकि नवें दिन विसर्जन का योग बन रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय हो गया है। इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्र 9 की बजाय 8 दिन के ही होंगे। अष्टमी 13 अक्टूबर को और नवमी 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी और दशहरा 15 अक्टूबर का रहेगा।
डोली पर माता रानी का आना शुभ नहीं शारदीय नवरात्रि का पर्व गुरुवार से शुरू हो रहा है। दुर्गा रानी इस बार ‘डोली’ पर सवार होकर आ रही है। डोली में माता का आगमन देश-दुनिया और आमजनों के लिए शुभ नहीं माना जाता है। पृथ्वी के कई हिस्सों में बड़ी राजनीतिक हलचल होगी। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जन धन की हानि होने की आशंका रहेगी। राजनीतिक मामलों में बात करें तो माता के डोली में आगमन से सत्ता में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल सकता है।
ये है घट स्थापन के प्रमुख मुहूर्त शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्त इस बार सिर्फ अभिजीत मुहूर्त ही रहेगा। अभिजीत मुहूर्त 7 अक्टूबर को दोपहर 11:52 से 12:38 तक है। इस बीच घट स्थापना कर देवी की पूजा अर्चना ज्योत, कलश स्थापना करनी चाहिए।
पंडित कैलान नाथ ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इन नौ दिनों तक मातारानी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं और उनके दुखों को हर लेती हैं। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है।