उन्होंने बताया कि 12 अप्रैल 2021 सोमवार को प्रातः 8:01 से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही नवसंवत्सर का प्रारंभ रेवती नक्षत्र व वैघृति योग तथा वृषभ लगन में हो गया है तथा लगन में ही मंगल राहु की युति तथा लग्नेश शुक्र हानि के घर में तथा लगनेष मंगल, लगन के पहले घर में इस प्रकार स्थान परिवर्तन का योग बना रहे हैं, जो अशुभ होकर कई प्रकार की हानियां दे रहा है।
इन स्थितियों के योग हैं इस संवत्सर में राक्षस नामक नव संवत्सर प्रवेश लग्न कुंडली अनुसार धनेश संतान तथा शिक्षा के स्वामी बुद्ध लाभ के 11वे घर में नीचे राशि तथा अस्त होकर बैठेंगे ही साथ ही ऊर्जावान चंद्रमा का आघात बुध पर होने के कारण धन संतान शिक्षा लाभ में भारी कमी दे रहा है। नव संवत्सर का वृषभ लग्न होने के कारण पश्चिम में आकाल, पूरब में राज्यों में विपरीत स्थिति, उत्तर में आदि उपज बर्बाद तथा दक्षिण में वर्षा अभाव योग बने हुए हैं तथा लग्न में मंगल राहु की स्थिति महामारी प्राकृतिक आपदा तथा बड़ी दुर्घटनाएं, सीमाओं पर युद्ध की स्थिति तथा देश के अंदर शांति भंग के योग बने हुए हैं। सरकारों द्वारा कर बढ़ाए जाने पर मजबूर होना तथा विकास दर नीचे स्तर पर तथा कमजोर अर्थव्यवस्था किसानों सहित जनता में असंतोष के संकेत दे रहे है। बेरोजगारी के कारण विपक्षी दल युवाओं को भड़काने में सफल होंग। शनि, मंगल के षटषटक व समसपतक होने से अंतर्राष्ट्रीय युद्ध की स्थिति तथा भारी प्राकृतिक आपदाओं के योग बने हुए हैं इस संवत 2078 में।
अच्छे भी हैं ये योग यह बात अलग है कि गुरु की अत्यंत शुभ दृष्टि लग्न में होने के कारण तथा शुक्ररसेष अच्छी फसल तथा धनेष बुद्ध में घेश और फलेश चंद्रमा अच्छी वर्षा के संकेत दे रहे हैं। धनेश गुरु व दुर्गेश चंद्र धन लाभ भी प्रदान कर रहे हैं। इस प्रकार इस संवत्सर में जो अशुभ ग्रह अशुभता फैला रहे है, उन ग्रहों से संबंधित प्रदाथों का दान करें। प्रदाथों अर्थात राहु, मंगल, सूर्य का दान 12 अप्रैल व 13 अप्रैल को अवश्य करें तथा शुभ ग्रह चंद्र व शुक्र के मंत्रों का जाप प्रचुर मात्रा में करके, नव संवत्सर के प्रारंभ में अशुभ ग्रहों का दान करके कुप्रभाव घटाते चले जाएं, ताकि राक्षस नामक यह संवतसर देश और समाज पर कुप्रभावी ना हो सके तथा शुभ नवरात्रों में शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित कर, शुभ मुहूर्त में शक्ति उपासना करने से नकारात्मक ऊर्जाओं की हानि ना पहुंचा सकेगी।