हापुड़ रोड स्थित मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज का अब नाम बदल गया है। इसका नया नाम नेशनल कैपिटल रीजन यानी एनसीआर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कालेज कर दिया गया है। नाम बदलने के साथ राजनीति भी गरमा गई है। हालांकि मेडिकल कालेज की संचालिका डा. सरोजनी अग्रवाल का कहना है कि इसमें कोई राजनीति नहीं है। इस बारे में सपा से शहर विधायक रफीक अंसारी और सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह ने डा. सरोजनी अग्रवाल पर आरोप लगाए कि जिस सपा ने उन्हें दो बार एमएलसी बनाया उसके साथ ये सिला दिया है।
वर्ष 2015 में हुई थी मेडिकल कालेज की स्थापना जिस समय प्रदेश में सपा सरकार थी उस दौरान वर्ष 2015 में मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज और अस्पताल की स्थापना की गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया था। तब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया(एमसीआई) की अनुमति से 2018 में 150 सीटों पर एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की गई थी। हालांकि मेडिकल कॉलेज में बेड अधिक हैं। वर्तमान में 350 कोविड बेड हैं। कोरोना काल में मेडिकल कालेज के बाद लेवल-2 का कोविड अस्पताल मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज को बनाया गया। कोरोना में इस मेडिकल कालेज की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, जिसे सरकार ने भी सराहा है। हाल में मेडिकल कॉलेज कैंपस में ऑटोमेटिक ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट भी लगाया गया है। मेडिकल कॉलेज के डॉ अश्विनी शर्मा ने बताया कि एसपीएम समेत दो विषयों में इस वर्ष से पीजी की भी पढ़ाई शुरू की जाएगी।
पार्टी बदलने के साथ ही शुरू हो गई थी चर्चा 2015 में जब मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज बना। तब ट्रस्ट चेयरपर्सन सपा नेत्री और एमएलसी डा. सरोजिनी अग्रवाल थीं, लेकिन 2017 में भाजपा सरकार बनने और बाद में उनके भाजपा में शामिल होने के साथ मेडिकल कॉलेज का नाम बदलने की कवायद शुरू कर दी गई थी। हालांकि वे बार-बार इससे इनकार करती रहीं। अब जाकर नाम बदल गया। इस बारे में जब सपा सरकार में मंत्री रहे शाहीद मंजूर से बात की गई तो उनका कहना था कि सब राजनीति से प्रेरित है। ऐसा कर भाजपा ने अपना चेहरा उजागर कर दिया है।