कभी कटटा रखने वाला मुन्ना बजरंगी अपराध की दूनिया में धसंता चला गया। यहां उसने जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल कर लिया और उसके लिए कार्य करने लगा। संरक्षण मिलने के बाद में मुन्ना बजरंगी के पास स्वचलित हथियार भी मिले। 1984 में लूट के लिए व्यापारी की हत्या कर दी। व्यापारी की हत्या के बाद में वह जुर्म की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया।
मुन्ना बजरंगी के कदम को बढ़ता देख मुख्तार अंसारी भी उससे काफी वाकिफ हो गया। 1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने उसे अपने साथ ले लिया। मुख्तार अंसारी को उनदिनों पूर्वांचल के बाहुबली माफिया के नाम से जाना जाने लगा था। मुख्तार अंसारी का संरक्षण मिलने के बाद वह काफी शक्तिशाली हो गया। उधर 1996 में मुख्तार अंसारी समाजवादी पार्टी से टिकट लड़े और विधायक बने। मुख्तार अंसारी के विधायक बनने केे बाद में मुन्ना बजरंगी की ताकत और बढ़ गई। जिसके बाद मुन्ना सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था।
बीजेपी नेता की हत्या में आया था बजरंगी का नाम सामने मुख्तार अंसारी के विधायक बनने के बाद में मुन्ना बजरंगी की दहशत लोगों में बढ़ती चली गई। दूसरी तरफ सपा विधायक बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और सपा विधायक मुख्तार अंसारी आमने सामने आ गए। आरोप है कि मुख्तार अंसारी ने विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची। साजिश के तहत 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े हत्या कर दी। लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाडिय़ों पर स्वचलित हथियारों से 400 गोलियां बरसाई गई थी। इस हत्याकांड ने सूबे में सियासी हलचल मचा दी थी। बीजेपी के सीनियर लीडर रहे अटल बिहारी वाजपेयी समेत अन्य नेताओं ने सीबीआई से जांच करानी की मांग की थी। ये गाजीपुर से विधायक रहे थे। हत्या के बाद में मुन्ना बजरंगी मोस्ट वॉन्टेड बन गया था। हालाकि मुन्ना बजरंगी गजराज के इशोर में पर जौनपुर में एक बीजेपी की नेता रामचंद्र की हत्या कर चुका था।