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दस पुलिसवालों को खड़ा किया लाइन में तो महिला ने खोला चौंका देने वाला राज 80 साल पुराने हैं मकान मेरठ पुलिस लाइन में बने ये मकान 70-80 साल पुराने हैं। पुलिस लाइन के आरआई होरी लाल सिंह कहते हैं कि इन क्वार्टर्स में तीन टाइप के मकान हैं। जिनमें टाइप ए के 72, टाइप टू के करीब 300 और बाकी टाइप थ्री के हैं। लाइन में कुल 890 मकान बने हुए हैं। उनका कहना है कि साल में एक बार मकानों की मेंटीनेंस के लिए बजट आता है, लेकिन जितना बजट आता है उससे कुछ मकानों की ही मरम्मत हो पाती है। जब तक दूसरा साल आता है मकानों की हालत और सख्ता हो जाती है।
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दरोगा ने फेसबुक पर की दोस्ती, शादी के बाद महिला ने उस पर लगाया दुष्कर्म का आरोप, पूरा मामला है ये रहते हैं सात सौ परिवार पुलिस लाइन में बने मकानों में करीब सात सौ पुलिसकर्मियों के परिवार रहते हैं। जिसमें सिपाही और चतुर्थ श्रेणी के अलावा इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों के भी परिवार निवास करते हैं। लोगों ने कैमरे के सामने बात करने से मना कर दिया, लेकिन इन मकानों की दुर्दशा पर पीछे खुलकर बात की। उनका कहना है कि अधिकांश लोग तो मकानों की हालत के कारण इनको छोड़कर चले गए। सुखपाल जो कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है और मेरठ के ही एक थाने में तैनात है उसने बताया कि दो दिन पहले उसकी बेटी मकान के छज्जे पर खड़ी थी इतने में छज्जा टूटकर नीचे गिर गया। शुक्र है उसकी बेटी नहीं गिरी।
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नोटबंदी आैर जीएसटी से इस आलीशान होटल पर पड़ा एेसा असर, यह प्रतिष्ठित परिवार कहीं का न रहा, अब पुलिस पड़ी है पीछे, जानिए पूरी कहानी नए मकानों के लिए न बजट, न जगह आरआई होरी लाल बताते हैं कि नए मकानों के लिए कोई बजट नहीं है। नए मकानों के लिए प्रस्ताव भी भेजे गए हैं। लेकिन उन पर कोई गौर नहीं किया गया। वहीं नए मकान लाइन में बनाने के लिए भी कोई जगह नहीं है। लाइन के भीतर जो जगह थी उनमें आठ सौ लोगों के रहने के लिए नई बैरक का निर्माण हो रहा है। जो सिर्फ सिपाहियों के लिए ही है। इस बारे में जब एसएसपी अखिलेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें मकानों की दुर्दशा की कोई जानकारी नहीं है। वे इसके बारे में पता करवाएंगे और इसके बाद मुख्यालय पत्र लिखेंगे।