इस ऐतिहासिक मेले का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से दुकानें आती हैं। जबकि इसे देखने भी आसपास के जिलों से लोग आते हैं। दो साल के अंतराल के दौरान मेले को प्रदेश सरकार ने प्रांतीय मेला घोषित कर दिया। जिसके बाद अब इस मेले पर मालिकाना हक जताने का नगर निगम और जिला पंचायत का विवाद भी खत्म हो गया है। जिला प्रशासन द्वारा इस वर्ष कार्यदायी एजेंसी के रूप में जिला पंचायत को मेला आयोजन की जिम्मेदारी दी गई है। रविवार शाम पांच बजे शहीद द्वार के पास मेले का पारंपरिक उद्घाटन भव्य समारोह के बीच हुआ।
यह भी पढ़े : 600 साल पुराने नौचंदी मेले पर इस बार भी कोरोना का ग्रहण कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और आइजी प्रवीण कुमार ने मेला स्थल पर स्थापित पांचों महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करके और शांति के प्रतीक सफेद कबूतर उड़ाकर मेले का उद्घाटन किया। मेले के उद्घाटन के बोर्ड से युक्त गुब्बारे उड़ाकर उन्होंने पूरे शहर को मेले के उद्घाटन की सूचना देने की रस्म को भी पूरा किया। यहां से अधिकारियों और प्रमुख लोगों का काफिला प्राचीन चंडी मंदिर पहुंचा। यहां पीठाधीश्वर संजय शर्मा ने पूजन कराकर चुनरी चढ़वाई। हजरत बाले मियां की मजार पर पहुंचकर अधिकारियों ने चादर चढ़ाई व मेले के शांतिपूर्ण आयोजन की दुआ की। मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ सज्जादानशीं ने दुआ कराई।