यह था मामला मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे आैर र्इस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस व अन्य प्रोजेक्ट के भू-अधिग्रहण के लिए जमीन की खरीद की गर्इ थी। इसकी अधिसूचना 2011 से 2013 के बीच जारी की गर्इ थी। फिर इसमें आर्बिट्रेशन से करीब दस गुना मुआवजा घोषित करा लिया गया, जबकि यह कार्य दोनों डीएम के स्तर से हुआ। एडीएम एलए आैर अमीन ने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन खरीदकर काफी मुआवजा हजम कर लिया। इस मामले में शासन को लगातार शिकायतें मिल रही थी। इसके बाद कमिश्नर डाॅ. प्रभात कुमार को इस जांच का जिम्मा सौंपा गया था। उनके निर्देश पर अपर आयुक्त रणधीर सिंह दुहन की अध्यक्षता में गठित टीम ने गाजियाबाद-हापुड़ जनपद की अधिग्रहीत जमीन के मुआवजे की जांच की। इसमें अफसरों आैर कर्मचारियों की जबरदस्त सांठगांठ सामने आई है। जांच में सामने आया है कि 1248.16 करोड़ का मुआवजा दिया जाना है, जिसमेें 554.34 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
यहां हुआ घोटाला जांच में पता चला है कि डीएम विमल कुमार ने गांव कुशलिया की जमीन के रेट को आर्बिट्रेशन में 617.59 रुपये प्रति वर्ग मीटर से बढ़ाकर 6500 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया था। इसी तरह नाहल, डासना, रसूलपुर आैर हापुड़ जिले के गांव पटना मुरादनगर में भी यही किया गया, जबकि इन गांवों की जमीन पहले ही एनएचएआर्इ प्रोजेक्ट में आ गर्इ थी। कमिश्नर डाॅ. प्रभात कुमार का कहना है कि उन्होंने रिपोर्ट शासन को भेज दी है।