पिछले साल मुरादाबाद और फिर आगरा में नकली दवाओं का खुलासा करने वाले ड्रग इंस्पेक्टर नरेश मोहन का कहना है कि मेरठ इन दवाओं का बड़ा हब है। सबसे बड़ी परेशानी ये है कि इन दवाइयों को बनाने वाले सौदागरों के हाथ बहुत ऊंचे हैं। जिसके चलते वे हर बार बच जाते हैं। पिछले दिनों मेरठ में पार्क कंपनी में नकली खांसी का सिरप और अन्य दवाइयां पंजाब पुलिस ने पकड़ी। जिनकी कीमत करोड़ों रुपये बताई जाती है। मालिक पर शिकंजा कसा गया लेकिन वह आज जमानत लेकर बाहर है।
कार्रवाई के बावजूद भी जारी है नकली ब्रांड प्रोडेक्ट की डिलीवरी कुछ ऐसा ही हाल है मेरठ की नामचीन स्पोर्ट्स कंपनियों की ब्रांड प्रोटेक्टर कंपनी के नकली सामान की सप्लाई का। मेरठ में गत 27 जुलाई 2021, 14 जून 2020, 28 सितंबर 2020 को छापेमारी के दौरान लाखों के नकली खेल के सामान बरामद हुए। पुलिस ने छापे के बाद नकलची व्यापारियों के कब्जे से लाखों रुपए की कीमत के नकली स्पोर्ट्स प्रोडक्ट बरामद किए गए थे। मेरठ से कई राज्यों में नकली ये सप्लाई किए जाते हैं। छापेमारी में कई बार भारी मात्रा में नीविया, योनेक्स और एसएस जैसी नामचीन कंपनियों के डुप्लीकेट टीशर्ट, शॉर्ट्स, टेनिस बॉल, एल्बो, थाईपैड और किट बैग आदि बरामद किए जा चुके हैं। बरामद माल की कीमत लाखों रुपए में है।
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति जिला पुलिस हो या फिर संबंधित विभाग नकलचियों पर सख्त नकेल कसने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही होती है। दूसरे राज्यों की पुलिस जब तक आरोपियों के गिरेबान तक पहुंचती है वे फुर्र हो जाते हैं। पुलिस के हाथ लगता है तो सिर्फ नकली समान।
12 सितंबर 2019 को पकड़ी गई थी नकली डीजल बनाने की फैक्ट्री मेरठ में ही गत 12 सितंबर 2019 को उस समय पुलिस और मेरठवासी हैरान हो गए जब औद्योगिक क्षेत्र में नकली डीजल बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई। इस फैक्ट्री में भारी मात्रा में नकली डीजल मिला था। जिसे नष्ट करना पुलिस और आपूर्ति विभाग के लिए चुनौती बन गया था।
इन मामलों में भी मेरठ रह चुका है आगे नकली दवा, खेल का सामान और डीजल के मामले में ही मेरठ आगे नहीं है बल्कि मेरठ में समय—समय पर नकली नोटों के सौदागर भी पकड़े जाते रहे हैं। इतना ही नहीं करोड़ों रुपये की एनसीआरटी की किताबें भी मेरठ में बरामद हो चुकी हैं।