यह भी पढ़ेंः
योगी सरकार को लगा बड़ा झटका, मायावती के करीबी इस पूर्व विधायक पर लगी रासुका हटी वेस्ट यूपी है दलितों की राजधानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उससे लगे कुछ जिलों को ऐसे ही दलितों की राजधानी नहीं कहा जाता है। 2007 और 2012 ही नहीं इससे पहले भी बसपा इस खास क्षेत्र में 20 से अधिक सीटों पर कब्जा करती रही है। बसपा की स्थिति उस वक्त और दमदार हो जाती है जब उसके साथ मुस्लिम वोटर खुलकर आ जाता है। इसका एक उदाहरण आगरा की छह सीट के रूप में देख सकते हैं। यहां दलित-मुस्लिमों का गठजोड़ होने पर नौ में से छह सीट बसपा के खाते में गई थी। 2007 में ये आंकड़ा सात सीट पर था। कुछ ऐसा ही मेरठ में भी देखा जा सकता हैै। मेरठ में भी छह विधानसभा सीटों में से 3 पर बसपा काबिज हुई थी।
यह भी पढ़ेंः
योगी सरकार को मिले जोरदार झटके पर बसपा नेता जोश में, कह दी ये बड़ी बात सपा को लगा सकती है किनारे बसपा के साथ दलित और मुस्लिम आने से मायावती की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। राजनीतिज्ञ पंडितों का मानना है कि ऐसी स्थिति में अगर मायावती सपा से महागठबंधन करती हैं तो उन्हें अधिक नुकसान होगा और सपा को फायदा। इसलिए अपने नुकसान की भरपाई के लिए वे सपा को भी किनारे लगा सकती है।