ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2019: वट वृक्ष की पूजा आैर व्रत रखने से सुहागिनों की पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
मेरठ। हर महीने की शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को पूर्णिमा होती है। इस तिथि को उपवास रखना बहुत शुभ माना जाता है। पूर्णिमा के मौके पर व्रत और गंगा स्नान बहुत ही फलदायी माना गया है। साल में 12 बार पूर्णिमा तिथि आती हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा भी इन्हीं में से एक है। jyestha purnima vrata 2019 सोमवार 17 जून को है। ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत को वट पूर्णिमा व्रत या वट सावित्री व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा आैर व्रत रखती हैं। मान्यता है कि एेसा करने से सुहागिनों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। वैसे पूर्णिमा व्रत कोर्इ भी रख सकता है। एेसा कहा जाता है कि इससे परिवार की सुख-समृद्धि बनी रहती है आैर परिवार के लोगों को कोर्इ कष्ट नहीं होता।
यह भी पढ़ेंः Ganga Dussehra 2019: जानिए कब है गंगा दशहरा और कैसे करें पूजाज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत आैर पूजा विधि ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2019 इस बार 17 जून को है। इस दिन सुहागिनों को व्रत रखने के साथ-साथ वट वृक्ष काे सींचकर उसकी पूजा करनी चाहिए आैर कथा सुननी चाहिए। वट वृक्ष की पूजा करने के लिए बांस की दो टोकरी में सतनाज (सात प्रकार के अनाज) को ढक कर रखें। दूसरी टोकरी में मां सावित्री की प्रतिमा व दीपक, धूपबत्ती, चावल, मौली आदि रखकर वट वृक्ष के सात चक्कर लगाने चाहिए। इसके बाद मौली का धागा वट वृक्ष पर बांधें। इसके बाद ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें आैर प्रसाद के रूप में गुड़-चना बांटें। वट वृक्ष को शिव के रूप के साथ-साथ भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है। सुहागिनों को वट वृक्ष की पूजा करने से भगवान शिव आैर विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
यह भी पढ़ेंः साेमवती अमावस्या: टहनी ताेड़ने से नहीं वट वृक्ष की पूजा करने से मिलेगा विशेष फल, जानिए पूजा विधिसत्यनारायण कथा का विशेष महत्व सामान्य तौर पर पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व होता है। लोग पूर्णिमा के दिन व्रत रखते हैं आैर व्रत पूर्ण होने के समय श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा आैर कथा सुनते-सुनाते हैं आैर प्रसाद वितरण करते हैं। निर्धन को भोजन खिलाने व दान देने से भी पुण्य मिलता है। पूर्णिमा व्रत में श्री सत्यनारायण भगवान की कथा का विशेष महत्व बताया गया है। इस कथा को सुनना भी उतना ही फलदायी माना गया है। एेसी मान्यता है की भगवान ने पूर्णिमा के दिन ही मानव अवतार लिया था। पूर्णिमा पर व्रत रखना बहुत ही शुभ माना गया है। व्रत रखने से जीवन में हर अभाव खत्म हो जाता है। परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है आैर व्यक्ति लगातार प्रगति की आेर बढ़ता है।
यह भी पढ़ेंः साेमवार आज साेमवती अमावस्या पर 149 साल बाद बन रहे हैं विशेष याेग, बदलेगा इन राशि वालाें का भाग्यसाल में ये हैं 12 पूर्णिमा एक साल में 12 पूर्णिमा आती हैं। इनका विशेष महत्व है। इनमें पौष पूर्णिमा (गंगा स्नान), माघ पूर्णिमा (कुंभ मेला), फाल्गुन पूर्णिमा (होली), चैत्र पूर्णिमा (हनुमान जयंती), वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध जयंती), ज्येष्ठ पूर्णिमा (वट सावित्री व्रत), आषाढ़ (रथ यात्रा), सावन पूर्णिमा (रक्षा बंधन), भाद्र पूर्णिमा (श्राद्ध पक्ष शुरू), अाश्विन पूर्णिमा (महर्षि वाल्मीकि जयंती), कार्तिक पूर्णिमा (गुरु नानक जयंती, गंगा स्नान) आैर मार्गशीर्ष पूर्णिमा (अन्नपूर्णा जयंती) शामिल हैं।
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