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दरोगा की पत्नी की हत्या करने वाले की पुलिस से बढ़िया सेटिंग थी, इलाके के लोग थे एेसे परेशान… मेरठ रैली के बाद बनी
जयपुर की रणनीति मेरठ में 12 फरवरी को गुजरात के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की मेरठ के कमिश्नरी में रैली के मायने कुछ और ही थे। मांग तो भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर की रिहाई की थी, लेकिन पर्दे के पीछे की राजनीति कुछ और ही थी। रैली के बाद दलित नेताओं के साथ जिग्नेश की हुई गुप्त बातचीत के बाद 25 फरवरी को जयपुर में होने वाली युवा हुंकार रैली के तैयारी की रणनीति बनाई गई। मेरठ से दलितों को ले जाने की कमान मेरठ में दलितों के उभरते युवा नेता बीएस जाटव को सौंपी गई थी। ‘पत्रिका’ से बातचीत में उन्होंने बताया कि 25 फरवरी को जयपुर जाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। मेरठ से तीन सौ दलित कार्यकर्ताओं के ले जाने की तैयारी थी। चार बसों का इंतजाम भी कर लिया था। लेकिन सरकार ने एेन वक्त पर रैली पर प्रतिबंध लगा दिया। जिससे तैयारियां धरी रह गई।
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थाने में पत्नी के सामने पुलिस ने की पति की पिटार्इ आैर दोनों को पीने के लिए पानी दिया, फिर… मेरठ में युवा दलितों पर फोकस मेरठ अपनी रैली के दौरान दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी ने मेरठ के ऐसे दलितों को चुना जो युवा हैं और दलित राजनीति में आने बढ़ने का दम दिखा सके। मेरठ में ऐसे बीस दलित युवाओं को जिग्नेश ने चुना है। ये दलित युवा सीधे जिग्नेश मेवाणी के संपर्क में हैं और प्रतिदिन की अपनी गतिविधियों की रिपोर्ट से जिग्नेश को अवगत करा रहे हैं। पश्चिम उप्र में जिग्नेश सक्रिय हो गए हैं और कई इनडोर मीटिंग कर चुके हैं। जिग्नेश मेवाणी की यहां सक्रियता के कई मतलब निकाले जा रहे हैं. इसे लेकर सबसे ज्यादा हलचल सत्तारूढ़ भाजपा और बसपा में है।
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Rashtrodaya Live: देशभक्ति, संस्कृति, समरसता आैर भगवा का नया अध्याय मेरठ से जिग्नेश आैर चंद्रशेखर की जुगलबंदी सियासी जानकारों की मानें तो भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर रावण के साथ जिग्नेश की खिचड़ी पक रही हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली में पिछले माह चंद्रशेखर रावण के पक्ष में हुंकार रैली करने के बाद जिग्नेश हर तीसरे दिन सहारनपुर पहुंच जाते हैं। हालांकि जेल प्रशासन ने उनकी चन्द्रशेखर से मुलाकात नहीं होने दी है। जिग्नेश मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाकर रखे हुए हैं और वह भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं से गोपनीय मीटिंग कर रहे हैं। मेरठ में दलित मामलों के जानकार डा. सतीश का मानना है कि दलित भीम आर्मी प्रकरण में बसपा सुप्रीमो के रुख से निराश हैं। उन्हें लगता है कि चंद्रशेखर के साथ हुए अत्याचार पर
मायावती ने सही निर्णय नहीं लिया। अब इस नाराजगी के बीच जिग्नेश की सक्रियता दलितों का रास्ता मोड़ सकती है। बताया जा रहा है कि जिग्नेश की सक्रियता ने मायावती की नींद उड़ा दी है। डा. सतीश कहते है कि बसपा की चिंता की एक और वजह है। दलितों का युवा वर्ग लगभग उससे दूर जा रहा है। इसमें चंद्रशेखर और जिग्नेश की लोकप्रियता है।