पुलिस का दावा है कि इस तरह से बनाए जाने वाली शराब में अल्कोहल की तीव्रता मापने का कोई पैमाना नहीं होता। तस्करों के पास तीव्रता मापने वाली कोई मशीन नहीं होती। वह अंदाजे से ही रसायनों का मिश्रण करके शराब बनाते हैं। पुलिस को शराब के अलावा 20 हजार रैपर बरामद हुए हैं। इन पर देसी शराब का मोहक ब्रांड लिखा है। रैपर पर मुजफ्फरनगर में मंसूरपुर डिस्टिलरी का एड्रेस छपा हुआ है। ब्रांड नाम इसलिए छपवाया गया है ताकि लोगों को असली-नकली का पता न चले।
यह भी देखें: कोरोना ने किया क्रिसमस का जश्न फीका जानीखुर्द थाना क्षेत्र के तेजवीर मेमोरियल बीएड कॉलेज में अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है। कॉलेज चौकीदार सहित तीन अभियुक्त गिरफ्तार हैं। भारी मात्रा में रैक्टीफाइड अल्कोहलए यूरिया मिला है। खुलासा हुआ कि कोरोना के चलते कॉलेज लंबे समय से बंद था। इसकी आड़ में शराब बनाई जा रही थी। पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कॉलेज में बनने वाली शराब की सप्लाई आसपास के ठेकों के अलावा कुछ किराना दुकानों पर थी। पव्वे पर मोहक ब्रांड नाम छपा होने से लोग उस पर शक भी नहीं करते थे। बताया जा रहा है कि पंचायत चुनाव के लिए शराब का स्टॉक तैयार किया जा रहा था। चुनाव में गांव-गांव बड़े पैमाने पर देसी शराब सप्लाई होती है। इसे लेकर तस्कर पहले से सक्रिय हैं और स्टॉक तैयार कर रहे हैं।