scriptइनके नाम पर मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा आैर आपके सारे काम सफल होने में गुरू की होती है यह भूमिका | Guru Purnima celebrated name of maharshi vedvyas | Patrika News
मेरठ

इनके नाम पर मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा आैर आपके सारे काम सफल होने में गुरू की होती है यह भूमिका

27 जुलार्इ को मनार्इ जा रही है गुरू पूर्णिमा

मेरठJul 27, 2018 / 09:19 am

sanjay sharma

meerut

After 149 years, the rare yoga of the planets will be made with the lunar eclipse on Guru Purnima

मेरठ। भारतीय शास्त्रों में गुरू का महत्व सर्वोपरि माना जाता है। मान्यता है कि बिना गुरू के कोई भी कार्य पूरा नहीं होता है। हिन्दू धर्म में भी गुरू का बड़ा स्थान है। धार्मिक ग्रंथों में भी कहा गया है कि गुरू का महत्व भगवान से भी बढ़कर है। एकमात्र गुरू ही ऐसा व्यक्ति बताया गया है जो हमको मार्ग दिखाता है। शास्त्रों में तो गुरु को इष्ट देव के समान माना गया है और ईश्वर की हमेशा पूजा अर्चना की जाती है उनका सम्मान किया जाता है ऐसा ही पर्व भारतवर्ष में भी मनाया जाता है जिसे हम सब गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। इस साल 27 जुलार्इ शुक्रवार को यह पूरे देश में मनार्इ जा रही है।
यह भी पढ़ेंः 117 साल बाद भारत में पड़ रहा विश्व का सबसे लंबी अवधि का चंद्र ग्रहण, इन राशियों के लिए रहेगा अशुभ, इन बातों का रखें ख्याल

इसके नाम पर मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा

भारत में कई विद्वान गुरु हुए हैं। चाहे फिर वो चाणक्य हो या आर्यभट्ट। ऐसे ही एक महान गुरु हुए हैं महर्षि वेदव्यास। जिन्होंने महाभारत, 18 पुराण, 18 उपपुराण एवं चार वेदों की रचना की। उनका जन्म आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुआ था। उन्हीं के सम्मान में आषाढ़ की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह से ही अपने इष्ट या गुरु की आराधना की जाती है मंत्र उच्चारण किया जाता है, वेद पाठ किया जाता है और अपने गुरु का सम्मान किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व

पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि गुरु पूर्णिमा को सबसे उच्च स्थान दिया गया है। अगर देखा जाए तो आषाढ़ के मास में पूरा आसमान बादलों से घिरा होता है और इसी कारण पूर्णिमा के दिन भी चंद्र अपना पूरा प्रकाश फैला नहीं पाता। परंतु फिर भी गुरु पूर्णिमा को ही सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। अगर चंद्र प्रकाश को ताक पर रखकर देखा जाए तो शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र अपने पूरे सौंदर्य के साथ अपनी चांदनी को पूरे आकाश में बिखरा देता है। इस प्रकार तो शरद पूर्णिमा को ही श्रेष्ठ कहा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। गुरु पूर्णिमा का चांद उस गुरु की तरह है जो अपना प्रकाश पूरे विश्व में फैला देना चाहता है। इस ज्ञान की चांदनी से पूरे जग के अंधकार को रोशन करना चाहता है और घिरे हुए काले बादल शिष्यों की तरह है, क्योंकि शिष्य तो कई प्रकार के हो सकते हैं चाहे वह अंधकार में डूबे हुए हो, यह हताशा से भरे हुए। आषाढ़ की पूर्णिमा का चांद इसी तरह अज्ञानता से भरे हुए बादलों से घिरा हुआ होता है और उस चांद का एकमात्र कर्तव्य यह है कि वह अपनी रोशनी उन सभी ज्ञान दें, इसलिए गुरु पूर्णिमा को ही श्रेष्ठ माना जाता है।
यह भी देखेंः कांवड़ यात्रा 2018: इस जिले में कांवरियों की सुरक्षा को लेकर बना हाईटेक प्लान

बिना गुरू के कोई कार्य सफल नहीं होते

पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार विश्व में गुरू ही ऐसा व्यक्ति है जो हमें सतमार्ग दिखाता है। गुरू के बिना कोई कार्य सफल नहीं माने जाते। पूजा पाठ में भी विधान है कि सर्वप्रथम अपने गुरू को प्रणाम कर ही पूजा-पाठ आरंभ किया जाता है।

Hindi News / Meerut / इनके नाम पर मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा आैर आपके सारे काम सफल होने में गुरू की होती है यह भूमिका

ट्रेंडिंग वीडियो