अब गाटे के अन्य खातेदारों के बीच अपने-अपने हिस्से की जमीन के बंटवारे के लिए मुकदमेबाजी की नौबत नहीं आएगी। सह खातेदारों के बीच हिस्से का बंटवारा अब पंचायत स्तर पर ही कर दिया जाएगा। राजस्व परिषद ने इसके लिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिन राजस्व गांवों में खतौनी का पुनरीक्षण और अंश निर्धारण का काम पूरा किया जा चुका है, वहां सह खातेदारों के बीच गाटों के भौतिक विभाजन की योजना तैयार कर उसे अमली जामा पहनाया जाए।
सहखातेदार की वजह बनती है विवाद का कारण गांवों में अक्सर मिले-जुले खातेदारों वाले गाटे होते हैं। एक ही गाटे में कई सह खातेदार होते हैं, लेकिन यह निश्चित नहीं होता है कि इसमें किसका हिस्सा किस तरफ है। इससे जमीन के बंटवारे को लेकर आए दिन विवाद होते हैं। यह भी परेशानी आती है कि यदि कोई अपना हिस्सा बेचना चाहे तो यह नहीं पाता चल पाता कि वह किस तरफ की जमीन बेचे। ऐसा ही असमंजस जमीन खरीदने वाले के सामने भी होता है। इसके बाद विवाद के अलावा और कुछ नहीं बचता।
यदि उसने किसी व्यक्ति से कोई जमीन खरीदी तो बाद में उस गाटे का कोई अन्य सह खातेदार यह दावा कर सकता है कि वह भूमि तो उसके हिस्से की थी। सह खातेदारों के बीच जमीन के बंटवारे के लिए अभी एसडीएम के यहां मुकदमा दर्ज कराना पड़ता है। राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार प्रदेश में मिलेजुले गाटों की जमीन के बंटवारे से जुड़े तकरीबन 20 हजार मुकदमे लंबित हैं।
राजस्व गांवों की खतौनियों के पुनरीक्षण और गाटों में अंश निर्धारण का काम वर्ष 2017 से लगातार जारी है। लिहाजा आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद मनीषा त्रिघाटिया ने अब जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि जिन गांवों में खतौनी पुनरीक्षण व अंश निर्धारण का काम पूरा कर लिया गया है, प्राथमिकता के आधार पर उन गांवों में मिले-जुले गाटों के भौतिक विभाजन की योजना तैयार कराते हुए उसके अनुसार राजस्व अभिलेखों को संशोधित कराया जाए।
भविष्य में भी जिन गांवों में खतौनी पुनरीक्षण व अंश निर्धारण का कार्य पूरा होता जाए, वहां भी ऐसा किया जाए। इस बारे में डीएम मेरठ के बालाजी ने बताया कि सभी तहसीलों के उपजिलाधिकारियों को इससे संबंधित निर्देश जारी कर दिए गए हैं।