2003 से 2017 तक हुई महापंचायतों का इतिहास कह रहा कहानी सबकी जुबान पर एक ही सवाल है कि क्या मुजफ्फरनगर की ये महापंचायत अपना रिकॉर्ड बरकरार रखेगी या फिर सत्तारूढ़ भाजपा, किसान महापंचायत आयोजकों का भ्रम तोड़ेगी। हालांकि ये अभी भविष्य के गर्त में है और इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन अगर पिछली महापंचायतों के इतिहास पर नजर डाले तो मुजफ्फरनगर जिले में किसानों की महापंचायत जिस सरकार के खिलाफ हुई, उसकी विदाई प्रदेश से हुई। बात 2003 से लेकर 2017 तक होने वाली महापंचायतों की करें तो उनसे तो यहीं संदेश मिलता है।
मायावती सरकार के खिलाफ किसानों ने भरी थी हुंकार भाकियू के वरिष्ठ नेता अरूण कुमार ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान जिस सरकार के खिलाफ एकजुट हुए हैं, वह सरकार सत्ता से बाहर होती रही है। कारण कुछ भी बना हो, लेकिन इतिहास यही है। चार फरवरी 2003 में मुजफ्फरनगर के इसी जीआईसी के मैदान पर भाकियू की महापंचायत बसपा की मायावती सरकार के खिलाफ हुई थी। तत्कालीन भाकियू अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत पर कलेक्ट्रेट में हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसान जुटे थे। जिसमें मायावती सरकार के खिलाफ किसानों ने हुंकार भरी थी। इसके बाद हुए चुनाव में मायावती सत्ता से बाहर हो गई थीं।
मायावती की सरकार के खिलाफ पनपा था आक्रोश वहीं आठ अप्रैल 2008 को इसी जीआईसी के मैदान में बसपा सरकार के खिलाफ बड़ी पंचायत हुई थी। भाकियू अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बयान के बाद उन्हें सिसौली से गिरफ्तार किया गया था। पूरी सिसौली को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने छावनी में तब्दील कर दिया था। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई थी। जिससे किसानों में मायावती की सरकार के खिलाफ फिर से आक्रोश पनपा था। जिसके बाद इस पंचायत का आयोजन हुआ था। इसके बाद 2012 में चुनाव हुए, जिसमें बसपा सत्ता से बाहर हो गई।
2013 में किसानों ने बुलाई थी महापंचायत इसके बाद प्रदेश में सपा की सरकार आई। इसके बाद मुजफ्फरनगर जिले में कवाल कांड हुआ। जिसने प्रदेश सरकार को हिलाकर रख दिया। इसके बाद एक बार फिर से भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सात सितंबर 2013 को नंगला मंदौड में किसानों की महापंचायत बुलाई थी। इस महापंचायत के बाद जिले में हुए दंगे ने भाकियू को व्यथित जरूर किया, लेकिन जनआक्रोश के चलते 2017 में सत्ता परिवर्तन हो गया और प्रदेश में भाजपा की सरकार आ गई।
2021 में किसानों ने फिर की महापंचायत अब 2022 में चुनाव होने हैं और एक बार फिर यह किसान महापंचायत हुई है। किसान संगठन भाजपा की योगी सरकार को उखाड़ने की बात भी कर रहे हैं। अब देखना यह है कि भाकियू अपना इतिहास दोहराती है या भाजपा फिर से अपनी सरकार बना पाती है।