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गठबंधन की उम्मीदवारी में बुआ मायावती भारी पड़ रही भतीजे अखिलेश पर, जानकर हो जाएंगे हैरान, देखें वीडियो पुलिस का मानना है कि छोटे लड़के भी ऐसी घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। इसलिए उनको भी ‘बैड टच’ और ‘गुड टच’ के बारे में जानकारी देनी आवश्यक है। आजकल तो कम उम्र में ही बच्चों को स्कूल भेजा जा रहा है। मेरठ पुलिस द्वारा स्कूलों को भेजी गाइडलाइन को स्कूली प्रबंधन ने सभी बच्चों के परिजनों केा इसे भेजा है। जिसमें कहा कि कम उम्र में स्कूल जाने वाले बच्चों केा इसी उम्र में उसे सिखाना शुरू कर दें। उन्हें बताए किसी भी अनजान व्यक्ति से दूर रहें, किसी को भी उन्हें छूने की इजाजत न दें अगर कोई ऐसा करें तो शोर मचाएं। इसके अलावा यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो भी हैं, उन्हें दिखाए ताकि वो खेल खेल में जानकारी ले सकें। बच्चों को ‘बैड टच’ और ‘गुड टच’ में अंतर सिखाना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि आज के दौर में किसी पर भी,भरोसा करना बहुत मुश्किल हो गया है। समाज में ऐसे लोग भी हैं जो छोटे बच्चों से फायदा उठाना चाहते हैं। मगर बच्चे अनजान होते हैं और उन्हें यह समझ में नहीं आता कि कौन सा टच गुड है और कौन सा टच बैड है।
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यह बाॅलीवुड अभिनेत्री इस सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहती, इसके पीछे हैं ये खास वजहें बच्चों को इनका फर्क कराने के लिए यह बताएं कि, कोई भी यदि अनजान व्यक्ति किसी बच्चे के होंठ, गला, सीना, हिप्स या फिर प्राइवेट पार्ट इनमें से किसी भी अंग को छूने की कोशिश करें तो ऐसे में तुरंत शोर मचाना चाहिए और आसपास में जो भी हो तुरंत उन्हें बताना, चाहिए ताकि उन्हें सबक सिखाया जा सके। इस बारे में डीआईजी अखिलेश कुमार का कहना है कि बच्चों के सुरक्षित भविष्य को देखते हुए यह अनिवार्य है कि सभी छोटे बच्चों को इसकी जानकारी हो। उन्होंने कहा कि अभी तक तो यह छोटी बच्चियों को ही बताया जा रहा था, लेकिन अब यह छोटे बच्चों के लिए भी अनिवार्य कर दिया गया है।