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योगी सरकार मेरठ से प्रयागराज तक 594 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेसवे 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले शुरू करना चाहती है, ताकि चुनाव में योगी सरकार जनता के सामने विकास की योजनाओं के तहत इसको रख सके। यही वजह है कि सरकार युद्धस्तर पर कार्य करवा रही है। फिलहाल गंगा एक्सप्रेसवे के लिए किसानों से जमीन खरीद फरोख्त की प्रक्रिया जारी है। इसके साथ ही सरकार ने एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए कंपनियों से प्रस्ताव भी मांगे हैं।
जून तक जमीन खरीदने का लक्ष्य सरकार ने जमीन खरीदने के लिए जून तक का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए एक्सप्रेसवे क्षेत्र में आने वाले सभी 12 जिलों के जिला प्रशासन को सख्त आदेश दिए गए हैं। लेकिन, जिस तरह देश की जनता पर
कोरोना कहर बनकर टूट रहा है, उससे जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी भी अछूते नहीं हैं। मेरठ तहसील का अधिकतर स्टाफ कोरोना संक्रमित है, जिससे जमीन खरीदने की प्रक्रिया को ग्रहण लग गया है।
60 प्रतिशत जमीन खरीदनी शेष गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए जून तक जमीन खरीदने का लक्ष्य
सरकार ने निर्धारित किया था, लेकिन अभी भी करीब 60 प्रतिशत जमीन नहीं खरीदी जा सकी है। अगर कोरोना से हालात और ज्यादा बिगड़े तो गंगा एक्सप्रेसवे तय समय तक पूरा कर पाना मुश्किल होगा। गंगा एक्सप्रेसवे के लिए यूपी के कुल 12 जिलों में किसानों की 6674 हेक्टेयर जमीन खरीदी जानी है, लेकिन 27 अप्रैल तक केवल 2730 हेक्टेयर जमीन ही खरीदी जा सकी है। वहीं मेरठ में 181 हेक्टेयर में से मात्र 63 हेक्टेयर जमीन ही खरीदी गई है।
ये कहते हैं अधिकारी गंगा एक्सप्रेसवे के नोडल अधिकारी और एडीएम प्रशासन मदन सिंह गब्र्याल ने बताया कि किसानों की जमीनों का बैनामा कराने वाले तहसील के कानूनगो और लेखपाल से लेकर कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हैं। इसके चलते जमीन खरीदने की प्रक्रिया बाधित हो रही है। सभी के ठीक होते ही बैनामों की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी। उन्होंने दावा किया है कि जमीन खरीदने का कार्य निर्धारित समय पर ही पूरा किया जाएगा।