यह भी पढ़ेंः
रिकार्ड तोड़ गर्मी में इतने घंटे बाद मिलने जा रही राहत, मौसम वैज्ञानिकों ने बतार्इ वजह उग्र स्वरूप लेकिन कल्याणकारी मां सातवीं महाविद्या मां धूमावती का स्वरूप देखने में भले ही उग्र आैर भयंकर दिखता हो, यह स्वरूप पापियों को दंड देने के लिए है। अपने भक्तों के लिए वह कल्याणकारी मां हैं। धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है। सफेद कपड़े, खुले बाल आैर काैवा इनकी सवारी है। मां विधवा स्वरूप में ही पूजी जाती हैं। मां धूमावती के दर्शन से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। पापियों को दंड देने आैर संहार करने की क्षमता देवी अपने भक्तों को प्रदान करती हैं आैर अपने भक्तों को सभी कष्टों से मुक्त कर देती हैं।
यह भी पढ़ेंः
जलसे में सांप्रदायिक सौहार्द की बातें, मौलाना दे रहे मंदिर आैर हनुमान चालीसा की मिसाल धूमावती जयंती के दिन ये करें धूमावती जयंती इस बार दस जून की है तो सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य से मां का पूजन करना चाहिए। इस दिन मां धूमावती की कथा का श्रवण करना चाहिए। पूजा के बाद अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना जरूर करनी चाहिए। मां धूमावती की कथा आैर प्रार्थना करने का विशेष महत्व है। काले वस्त्र में काले तिल बांधकर मां को भेंट करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सुहागिनों को मां धूमावती का पूजन नहीं करना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः
Patrika News @ 7pm: मां के चुप कराने पर बच्ची ने पुलिस को सुनाई मामा की करतूत, एक Click में देखें दिन भर की बड़ी खबरें मां धूमावती की प्रचलित कथा एक बार देवी पार्वती को भूख लगती है तो वह इसके लिए भगवान शंकर के पास जाती हैं, किंतु उस समय भगवान समाधि में लीन होते हैं। उनके बार-बार निवेदन के बाद भी भगवान शंकर ध्यान से नहीं उठते। इस पर देवी श्वास खींचकर भगवान शिव को निगल जाती हैं। शिव के गले में विष होने के कारण मां के शरीर से धुंआ निकलने लगता है और उनका स्वरूप विकृत और श्रृंगारविहीन हो जाता है। इस कारण उनका नाम धूमावती पड़ता है।
यह भी पढ़ेंः
VIDEO: योगी की पुलिस के बाद इन्होंने महिलाआें के प्रति बढ़ते अपराध रोकने का जिम्मा संभाला रुद्राक्ष की माला से करें जप ज्योतिषाचार्य महेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि मां धूमावती अपने भक्तों को शीघ्र फल प्रदान करती हैं। रुद्राक्ष की माला से साधकों को जप करना चाहिए। इनकी संख्या 21, 51 या 108 माला करनी चाहिए। मां धूमावती देवी का मंत्र- ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट् या फिर इस मंत्र धूं धूं धूमावती ठ: ठ: का जाप करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य के अनुसार जाप के बारे में किसी जानकार से पूछकर ही करना चाहिए। मां धूमावती अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।
UP News से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Uttar Pradesh
Facebook पर Like करें, Follow करें
Twitter पर ..