गठबंधन टूटने के लिए मायावती ने दिग्विजय को ठहराया था जिम्मेदार
दरअसल, बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन टूटने का सारा ठीकरा कांग्रेस महासचिव दिग्विजय पर फोड़ा था। इसके बाद से आक्रामक हुए कांग्रेसियों ने उस रिपोर्ट का हवाला दिया, जो कुछ दिन पहले मप्र के चुनावी गठबंधन को लेकर तैयार हुई थी। इसमें बसपा से गठबंधन करने पर उसका लाभ कांग्रेस को नहीं, बल्कि बसपा को मिल रहा था। कांग्रेस नेता अभिमन्यु त्यागी ने कहा कि रिपोर्ट में गठबंधन को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस बीएसपी के साथ गठबंधन करती तो उसका लाभ बीजेपी को सीधे मिलता, जो कि कांग्रेस के लिए एक बड़ा खतरा साबित होती। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट पार्टी के सूत्रों ने तैयार करवाई थी। हालांकि, पहले इस रिपोर्ट को ज्यादा महत्व नही दिया गया था, लेकिन अब इसके मायने निकाले जा रहे हैं।
दरअसल, बीएसपी ने कांग्रेस से 50 सीटों की मांग की थी। इन 50 में से आधी सीटें 2008 और 2013 में या तो कांग्रेस ने जीती थीं या तो बीएसपी ने। इन 50 में 11 सीटों पर बीएसपी का कब्जा था और 14 पर कांग्रेस का, बाकी की 25 सीटों पर बीजेपी 2008 और 2013 में जीती थी। अगर कांग्रेस बीएसपी का गठबंधन होता तो इन 25 में से सिर्फ 10 सीटों पर जीत की गुंजाइश थी। लेकिन अब समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं।
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बसपा से गठबंधन कांग्रेस के लिए हानिकारक
उन्होंने बताया कि दरअसल, कांग्रेस की यह आंतरिक रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र गया था कि यह गठबंधन कांग्रेस के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। बसपा इसका सीधा फायदा बीजेपी को पहुंचाना चाहती है। हालांकि, इस रिपोर्ट को कांग्रेस के अंदर कोई खास महत्व तब नहीं दिया गया था और प्रदेश कांग्रेस के नेता और प्रदेश बसपा के नेता गठबंधन की संभावनाओं को नकार नहीं रहे थे। लेकिन अब, जबकि मायावती ने हमारे नेता दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाकर गठबंधन तोड़ने की धमकी दी तो इस रिपोर्ट के तथ्य सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती को यह समझना चाहिए कि सौ साल पुरानी पार्टी के लिए किन शब्दों को इस्तेमाल करना चाहिए।