एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान मेरठ जिले में हुए आगजनी-हिंसा और तोड़फोड़ मामले में आरोपी बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा की जमानत अर्जी एक बार पिर खारिज कर दी गई। आरोपी पूर्व विधायक योगेश वर्मा की जमानत अर्जी अपर जिला जज मानवेंद्र सिंह की कोर्ट संख्या दो में लगाई गई थी। अदालत में योगेश की जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील संदीप ने तर्क दिया कि योगेश वर्मा राजनीतिक व्यक्ति हैं और उनके कहने पर ही दो अप्रैल को मेरठ में कई स्थानों पर भीड़ उग्र हुई। इस दौरान जमकर आगजनी और तोड़फोड़ की। सरकारी वकील ने कहा कि अंबेडकर चैराहे पर जब योगेश वर्मा ने एकत्र भीड़ को उकसाने का काम किया तभी उत्तेजित भीड़ कचहरी परिसर के भीतर घुसी थी और कचहरी में तोड़फोड़ की थी। इस पर अधिवक्ताओं की गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुई थी।
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दो अप्रैल को कचहरी स्थित आंबेडकर चैक पर दलित समुदाय के कई संगठन हजारों की संख्या में लाठी-डंडे लेकर एकत्र थे। युवाओं की उत्तेजित भीड़ कचहरी में तोड़फोड़ करते हुए घुसी थी। वहां पर वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी शुरू कर दी। कई दुकानों में लूटपाट की गई, चेंबरों को भी जला दिया गया। इस मामले में सिविल लाइन थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा को नामजद किया था। अब मेयर पति योगेश वर्मा की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद मेयर सुनीता वर्मा ने कहा कि वे अब हाईकोर्ट में जाकर इसके खिलाफ अपील करेंगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार प्रशासन का दुरूपयोग कर रही है।