डा. रजनीश के अनुसार बोतल के पानी की तुलना में नल का पानी ज्यादा साफ होता है। जिन शहरों के बोतलबंद पानी को टेस्ट किया गया उनमें गाजियाबाद, दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, नागपुर,
जयपुर सहित देश के अन्य शहरों से नमूने लिए गए। लैब में टेस्टिंग के दौरान पानी के भीतर प्लास्टिक के पार्टस पाए गए। इस रिपोर्ट के मुताबिक टेस्ट के दौरान एक लीटर की बोतल में 10.4 माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल्स पाए गए। यह साधारण नल के पानी में पाए गए प्लास्टिक कणों की तुलना में दोगुना है।
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Navratri 2018: यहां नव संवत की शुरुआत हो रही अदभुत, राजस्थानी कारीगरों की यज्ञशाला सबकी पसंदीदा! ढक्कन बनाने वाला प्लास्टिक मौजूद रिपोर्ट के मुताबिक बोतलबंद पानी में पाए गए प्लास्टिक के अवशेषों में पॉलीप्रोपाइलीन, नायलॉन और पॉलीइथाईलीन टेरेपथालेट शामिल हैं। इन सबका इस्तेमाल बोतल का ढक्कन बनाने में होता है। रिपोर्ट के अनुसार पानी में ज्यादातर प्लास्टिक पानी को बोतल में भरते समय आता है। यह बोतल और उसके ढक्कन से आ जाता है।
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पोस्ट बैंक पेमेंट से एक काॅल पर दस हजार रुपये तक घर पर जल्द खराब होता है पेट का एम्यून सिस्टम डा. रजनीश भारद्वाज के अनुसार बोतलबंद पानी पीने से शरीर के बीमारी से लडने की क्षमता 50 प्रतिशत कम हो जाती है। बोतल बंद पानी हो या घर में लगा आरओ आजकल सभी बीमारियां परोस रहे हैं। मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज के यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ. शैलेश चंद्र सहाय के अनुसार दूषित पानी पीने से मूत्र पथरी होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। वह दूषित पानी चाहे बोतलबंद का हो या फिर नल का। बेहतर है कि पानी को उबालकर पिया जाए। पानी को उबालकर पीने से सभी हानिकारक बैक्टीरियां मर जाते हैं। दूषित पानी पीने से मूत्र संक्रमित हो जाता है तो ऐसे में बुखार भी आ सकता है। इस तरह कि शिकायत होने पर डाॅक्टर के पास जाकर कुछ बेसिक टेस्ट अल्ट्रासाउंड केयूबी, सीटी स्कैन एब्डोमेन और आईवीयू (इंट्रावेनस यूरोग्रफी) के माध्यम से इसका पता लगाया जा सकता है।