इसका उदेश्य ग्रामीण क्षेत्र में चल रही योजनाओं का लाभ गांव में लोगों को बैंक के स्थान पर बैंक सखी के माध्यम से मिल सकेगा। वहीं डिजिटेल पेमेंट को बढावा भी दिया जाएगा। बैंक सखी टेक्नालाजी का प्रयोग करते हुए ग्रामीण परिवारों और स्वयं सहायता समूहों में डिजिटल ट्राजेक्शन बढ़ाने और वंचित परिवारों के फाइनेंशियल इन्क्लूजन के लिए यह एक सशक्त माध्यम होंगी।
ब्रंडिंग व ड्रेस कोड:- राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बीसी सखी के ब्रैंडिंग की व्यवस्था करेगा और एनआईएफटी या अन्य संस्था के साथ मिलकर ड्रेस कोड तय करेगा। प्रत्येक बैंक सखी केा दो ड्रेस प्रदान की जाएंगी।
बैंक और योजना जनता के द्वार:- बता दे कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सी योजनाएं ऐसी हैं जिसका लाभ शत प्रतिशत ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रहा है। बैंक में भी ग्रामीण जाने से बचते हैं। बीसी सखी के माध्यम से योजनाओं को ग्रामीणों के घर-घर पहुंचाना और बैंक जनता के द्वार की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य को साकार करने के लिए ही यह योजना क्रियान्वित की गई है। इस बारे में सीडीओ ईशा दुहून ने बताया कि बैंक सखी के लिए काफी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूह में कार्यरत युवतियों ने आवेदन किए हैं। जल्द ही इनकी नियुक्ति की जाएगी।