आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करने वालों का कहना है कि इससे इलाज काफी सस्ता पड़ता था। अंग्रेजी दवाइयों के मुकाबले आयुर्वेदिक दवाइयां काफी सस्ते में मिलती थी और सेहत के लिए हानिकारक भी नहीं होती थी। इससे इलाज भी अच्छे तरीके से होता था। लेकिन अब इन आयुर्वेद औषधियों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। अगर यहीं हाल रहा तो जनता की पहुंच से आयुर्वेदिक इलाज बाहर हो जाएगा। जड़ी बूटियों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
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औषधि ——————दाम पहले ——————दाम अबअश्वगंधा ——————-650 ——————–800
आंवला ———————150 ———————-200
शिकाकाई ——————-120 ———————180
शतावर ———————-550 ———————800
कुटकी ———————-1200 ——————-1800
कमल गट्टा ——————300 ——————–500
मुरब्बाआंवला —————–250 ——————–300
पनीर डोडी ———————150 ———————220