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मुजफ्फरनगर दंगे के बाद कमजोर हुए जाट-मुस्लिम तानेे-बाने को मजबूत करने जुटे बड़े आैर छोटे चाैधरी!

दो दिन के मेरठ प्रवास पर अजित सिंह ने पुराने पार्टी नेताआें से की मुलाकात, कहा- नाराज तो नहीं हो हमसे
 

मेरठApr 18, 2018 / 07:17 pm

sanjay sharma

meerut
मेरठ। महागठबंधन की आहट और 2019 के चुनाव नजदीक आते ही रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह फिर से सक्रिय हो गए हैं। रालोद और चौधरी अजित सिंह को 2014 में हुए नुकसान की भरपाई 2019 से करना चाहते हैं। पिछले दिनों उनका दो दिवसीय मेरठ प्रवास भी इसी मुहिम का नतीजा है।
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मुजफ्फरनगर दंगे ने पहुंचाया नुकसान

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से टूटे जाट-मुस्लिम ताने-बाने की वजह से बेहद कमजोर हो गई राष्ट्रीय लोकदल में अजित सिंह और जयंत चौधरी जान फूंकने की कोशिश में है। 2019 में खुद की नैया पार लगाने के लिए पुराने साथियों को संग लाने की कवायद जारी है। मुजफ्फरनगर और शामली के पूर्व सांसद अमीर आलम और उनके पुत्र पूर्व एमएलए नवाजिश आलम को शामिल करके यही संदेश देने की कोशिश की गई। मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद रालोद का बेस कहे जाने वाले जाट-मुस्लिम में पड़ी दरार का सीधा असर पार्टी पर पड़ा था। 2013 में हुए दंगे के बाद 2014 में लोकसभा चुनाव में पिता अजित सिंह और पुत्र जयंत चौधरी को हार का मुंह देखना पड़ा। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का सिर्फ एक एमएलए ही जीत सका था और उनके करीबी भी पार्टी से अलग हो गए थे।
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घर की मजबूती में जुटे पिता-पुत्र

दरअसल, अजित और जयंत पहले अपने घर वेस्ट यूपी को मजबूत करना चाहते हैं। जयंत चौधरी भले ही एक बार मथुरा से एमपी रहे हों, लेकिन उनका मन मुजफ्फरनगर सीट पर अटका हुआ है। मुजफ्फरनगर हिंसा से पहले उन्होंने इस सीट पर खुद की जीत की संभावना तलाश कर बिसात बिछानी शुरू कर दी थी। उस वक्त मुश्ताक अहमद को एमएमली बनाकर भी जिले में जाट मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत करने की ही कोशिश थी, लेकिन सब गड़बड़ हो गया।
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पुराने समीकरण को 2019 में भुनाने की कोशिश

अब अजित सिंह नए सिरे से पुराने समीकरण को बनाने में जुट गए हैं। 1985 में लोकदल से टिकट पर एमएलए बनकर राजनीति शुरू करने वाले अमीर आलम 1989 और 1996 मे भी एमएलए रहे और 1999 में लोकदल के टिकट पर ही सांसद भी बने। एसपी में जाने के बाद 2006 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए। एसपी से उनके बेटे नवाजिश आलम 2012 में बुढ़ाना से एमएलए बने। मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद एसपी में अलग-थलग कर दिए गए अमीर आलम बाद में बीएसपी में चले गए। कुछ दिन पहले ही पिता-पुत्र ने बीएसपी को छोड़ दिया था। अब चौधरी अजित सिंह के साथ पुरानी पार्टी आरएलडी में शामिल हो गए।
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बोले चौधरी मेरे से नाराज हो क्या

रालोद के राष्टीय महासचिव डा. मैराजुद्दीन ने बताया कि अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान रालोद सुप्रीमो रालोद से जुड़े सभी पुराने साथियों और नेताओं से मिले। इस दौरान उन्होंने सभी से हालचाल जाना और पूछा भई नाराज तो नहीं हो।

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