मेरठ में माचिस के होलसेल विक्रेता नरेश कुमार का कहना है कि माचिस के दामों में यह वृद्धि 14 साल बाद हुई है। उन्होंने बताया कि कच्चे माल की कीमत में तेजी आने से यह वृद्धि करनी पड़ रही है। क्योंकि माचिस बनाने की इकाइयों में उत्पादन की लागत अधिक आ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पास बिक्री (अधिकतम खुदरा मूल्य) मूल्य बढ़ाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
माचिस बनाने में 14 कच्चे माल की होती है जरूरत उन्होंने बताया कि माचिस बनाने में 14 प्रकार के कच्चे माल की जरूरत होती है। इनमें एक किलो रेड फॉस्फोरस 410 रुपये से बढ़कर 850 रुपये, वैक्स 72 रुपये से 85 रुपये, पोटेशियम क्लोरेट 68 रुपये से 80 रुपये, स्प्लिंट्स 42 रुपये से बढ़कर 48 रुपये हो गया है। बाहरी बॉक्स 42 रुपये से 55 रुपये और इनर बॉक्स 38 रुपये से 48 रुपये हो गया है। इस तरह सभी कच्चे माल की कीमत कई गुना बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि भी माचिस के दाम में बढ़ोतरी का एक कारण रहा है। इससे परिवहन लागत में वृद्धि हुई है। इसलिए 1 दिसंबर से एक माचिस की कीमत मौजूदा 1 रुपये से बढ़ाकर 2 रुपये कर दी जाएगी।
इससे पहले 2007 में बढ़े थे दाम नरेश कुमार का कहना है कि इससे पहले 2007 में माचिसस के दाम पचास पैसे से बढ़ाकर 1 रुपए प्रति माचिस किए गए थे। उन्होंने बताया कि माचिस बनाने के कारखाने तमिलनाडु में हैं। जहां से देश की 95 प्रतिशत माचिस सप्लाई की जाती है।