गौरतलब है कि मुन्ना बजरंगी को रविवार रात को ही झांसी से बागपत की जेल में लाया गया था। बागपत के कोर्ट में सोमवार को ही मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी। इससे पहले ही उसकी हत्या कर दी गई। दरअसल, मुन्ना पर बड़ौत के पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित और उनके भाई नारायण दीक्षित से 22 सितंबर 2017 को फोन पर रंगदारी मांगने और धमकी देने का आरोप था। इसी सिलसिले में सुनवाई के लिए वह बागपत लाया गया था।
मुन्ना को दो सहयोगियों की भी हो चुकी है हत्या
मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने 10 दिन पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बजरंगी की हत्या की आशंका जताई थी। तब सीमा ने कहा था कि झांसी जेल में बंद उनके पति का एनकाउंटर करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया ता कि एसटीएफ में तैनात एक अधिकारी के इशारे पर ऐसा हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया था कि इस अफसर के कहने पर ही जेल में बजरंगी को खाने में जहर देने की कोशिश तक की गई। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि था कि सिर्फ पति ही नहीं, मेरे पूरे परिवार पर जान का खतरा है। इससे पहले मेरे भाई की हत्या 2016 में की गई, लेकिन पुलिस ने इस मामले में सिर्फ टालमटोल कर केस बंद कर दिया। इसके बाद हमारे शुभचिंतक तारिक मोहम्मद की भी हत्या कर दी गई, लेकिन पुलिस खाली हाथ बैठी रही। पुलिस जांच करने के बजाय परिवार के लोगों को परेशान कर रही है।
हालांकि, इस मामले में कार्रवाई करते हुए योगी सरकार ने बड़ी सख्ती दिखाई है। एडीजी जेल नेबताया कि ये घटना जेल की सुरक्षा में गंभीर चूक है। मामले में जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हेड वार्डन अरजिन्दर सिंह, वार्डन माधव कुमार को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्होेंने बताया कि पूरी घटना की न्यायिक जांच होगी। इसके साथ ही पोस्टमार्टम वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सूचित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम एनएचआरसी के दिशा-निर्देशाें के आधार पर भी किया जाएगा। वहीं, पूरे मामले की जांच के लिए टीमें पहुंच चुकी हैं।