चिकित्सकों के मुताबिक एचआइवी पाजिटिव गर्भवती महिला और बच्चे का सेंटर की ओर से विशेष ध्यान रखा जा रहा है। दोनों की समय-समय पर जांच हो रही है। 18 माह की उम्र होने पर बच्चे का एचआईवी जांच होगा। उसके एचआइवी पाजिटिव या नेगेटिव होने की पुष्टि होती है।
डॉक्टरों की माने तो HIV संक्रमित महिलाओं का सही समय से इलाज होने और नियमित दवा लेने पर उसके बच्चे के संक्रमण की आशंका कम रहती है। इतना ही नहीं एचआइवी पाजिटिव व्यक्ति को विभिन्न बीमारी और इफेक्शन घेरने लगते हैं। इसे एड्स रोग कहा जाता है। डाक्टरों का प्रयास दवा देकर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से रोकना होता है।
डॉक्टरों ने बताया कि HIV समक्रण दूषित सीरिंज या ब्लेड आदि का प्रयोग, संक्रमित मरीज के रक्त का इस्तेमाल, असुरक्षित तरीके से टैटू बनवाना, असुरक्षित यौन संबंध आदि से फैलता है । एचआइवी पाजिटिव व्यक्ति के निकट संपर्क से यह रोग नहीं फैलता है।