उस दौरान मेरठ सहित प्रदेश बैंकों के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें आज तक जेहन में जिंदा हैं। इन पांच साल के दौरान नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। सीसीएसयू की प्रोफेसर डॉक्टर अनुपमा का मानना है कि नोट बंदी से कई लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है।
वहीं मेरठ कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर सतीश का कहना है कि नोटबंदी को डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन मूल नीति में लक्ष्य एकदम अलग थे। नोटबंदी के दौरान सबसे बड़ा वादा सिस्टम में मौजूद बेहिसाब नगदी पर रोक लगाने का किया गया था और यह पैसा सीधे बैंक में जमा कराने के निर्देश दिए गए थे।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में पॉलिसी का जिक्र करते हुए कहा था कि करोड़ों रुपये सरकारी अधिकारियों के बिस्तरों या बैगों में भरे होने की खबरों से कौन-सा ईमानदार नागरिक दुखी नहीं होगा? जिन लोगों के पास बेहिसाब पैसा है, उन्हें मजबूरी में इसे घोषित करना पड़ेगा, जिससे गैर-कानूनी लेन-देन से छुटकारा मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि उस दौरान काफी लोगों ने नोटबंदी के इस फैसले को भ्रष्टाचार पर सर्जिकल स्ट्राइक भी कहा था।
डॉक्टर सतीश कहते हैं कि नोटबंदी को डिजिटल ट्रांजेक्शन में तेजी आने की बड़ी वजह माना जाता है। काफी लोग नोटबंदी के फैसले को इसी तर्क से साबित करने की कोशिश करते हैं, जबकि मूल नीति में इसका कोई जिक्र ही नहीं था। मूल नीति में कहा गया था कि इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में कैश फ्लो घट जाएगा। उन्होंने बताया कि बेहिसाब पैसा ही भ्रष्टाचार की असल वजह है।
भ्रष्ट तरीकों से पैसा कमाने से मुद्रास्फीति बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है। गरीब इस आग से झुलस रहा है। इससे सीधे तौर पर मध्यम और निचले वर्ग की खरीदारी की क्षमता प्रभावित होती है। आपने खुद महसूस किया होगा कि जब आप जमीन या मकान खरीदते हैं तो चेक से पैसा देने की जगह कैश की मांग की जाती है।
नोट बंदी के बाद मेरठ में पकड़ी गई कई करोड़ की करेंसी नोट बंदी हुई तो सबसे अधिक परेशानी दो नंबर के धंधेबाजों को हुई। मेरठ में कई बार करोडों की करेंसी पकड़ी गई। जो आज भी थानों के माल खाने में पड़ी सड़ रही है। ये अलग बात है कि ऐसे कारोबारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई जिनके पास से ये इलीगल टेंडर पकड़े गए।