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मेरठ

यूपी के इस जिले में मिला 5 हजार साल पुराना कुछ ऐसा, जिससे खुल जाएगा महाभारत काल का राज!

कब्र से 5 हजार साल पुराना प्राचीन रथ ओर शस्त्र मिलने के बाद कई और राज खुलने की उम्मीद जगने लगी है।

मेरठJun 05, 2018 / 03:17 pm

Rahul Chauhan

बागपत। महाभारत काल के बारे में तो सभी ने सुना और पढ़ा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस दौर का रथ भी अब यूपी के जिले से मिला है। जिसके बाद कहा जा रहा है कि अब महाभारत काल के कई तथ्यों व राज के बारे में पता लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं, इसे इतिहास जानने के लिए काफी महत्वपूर्ण भी बताया जा रहा है।
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दरअसल, यूपी के बागपत जिले में 5 हजार साल पुरानी कब्र के राज को लेकर पुरातत्वविदों में बहस छिड़ गई है। कोई उसको महाभारत काल का बता रहा, तो कुछ उसे लोह युग और कांस्य युग का प्रमाण बताते हैं। बागपत के सिनौली गांव में एक कब्र से 5 हजार साल पुराना प्राचीन रथ ओर शस्त्र मिलने के बाद कई और राज खुलने की उम्मीद जगने लगी है। जिसे लेकर पुरातत्वविदों द्वारा गांव में खुदाई की जा रही है।
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बता दें कि सिनौली में एक कब्रगाह से पूर्व लौह युग या कांस्य युग का एक रथ का प्रमाण मिला है। वैसे तो राखीगढ़ी, कालीबंगन और लोथल से पहले भी कई कब्रगाह खुदाई के दौरान मिलें हैं। लेकिन ऐसा पहली बार है जब कब्रगाह के साथ रथ भी मिला है। रथ मिलने के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि इससे महाभारत काल और हड़प्पा काल में घोड़े की उत्पत्ति को लेकर भी कई नए तथ्य सामने आ सकते हैं। पुरातत्वविदों द्वारा बताया गया कि पहली बार किसी कब्र से रथ मिला है।
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गौरतलब है कि सिनौली गांव में खुदाई मार्च 2018 में एस.के मंजुल व सह-निदेशक अरविन मंजुल सहित 10 सदस्यों की एक टीम द्वारा शुरू की गई थी। जिसके बाद से यहां लगातार खुदाई की जा रही है। इतिहासकार एवं शहजाद राय शोध सस्थान के निदेशक अमित राय जैन बताते हैं कि उस समय मेसोपोटामिया, जॉर्जिया और ग्रीक सभ्यता में रथ पाए जाने के प्रमाण मिलते हैं। लेकिन अब भारतीय उप महाद्वीप में इसके साक्ष्य मिलने के बाद हम कह सकते हैं इन सभ्यताओं की तरह ही भारतीय उप महाद्वीप में भी लोग रथों का प्रयोग करते थे।
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उन्होंने बताया कि इससे एक दूसरा तथ्य भी निकल के आता है कि पूर्व लौह युग में हम लोग लड़ाकू प्रजाति के थे। खास बात है कि इस रथ की बनावट बिल्कुल वैसी ही है जैसे इसके समकालीन मेसोपोटामिया आदि दूसरी सभ्यताओं में था। इस रथ के पहिए की बनावट ठोस हैं इसमें तीलियां नहीं हैं। रथ के साथ पुरातत्वविदों को मुकुट भी मिला है। जिसे रथ की सवारी करने वालों द्वारा पहना जाता रहा होगा।
जिलाधिकारी ऋषिरेंद्र का कहना है कि खुदाई में इस तरह के प्रमाण मिलना अपने आप मे बड़ी उपलब्धि है। बरनावा टीले को पहले ही पर्यटन स्थल घोषित किया जा चुका है। सिनोली भी बागपत की पहचान बन चुका है। जिसमें इतिहास के कई राज दफन है।

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