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मेरठ

लॉकडाउन की वजह से अक्षय तृतीया के दिन भी सूने रहेंगे बैंकट हॉल, यहां 1500 शादियां हुई रद्द

सभी मंडपों की बुकिंग हुई कैंसिल, 10 करोड़ की लगी चपत
सर्राफा, कपड़ा और फर्नीचर बाजार में भी गायब हुई रौनक

मेरठApr 25, 2020 / 08:22 pm

Iftekhar

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केपी त्रिपाठी/मेरठ. लॉकडाउन ने उन युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, जो कई माह पहले से अपनी शादी की आस लगाए बैठे थे। उनकी शादी की तारीख पंडित ने अक्षय तृतीया के दिन को शुभ मानकर तय की थी, लेकिन इस बार न तो मंडपों के भीतर वो सजावट होगी और न ही मंडपों के बाहर बैडबाजों की धुन पर बरातियों के नाचने का वो माहौल ही देखने को मिलेगा। यानी सब कुछ कोरोना की भेट चढ़ गया है। मंडप एसोसिएशन के महामंत्री विपुल सिंघल की माने तो मेरठ में रजिस्ट्रर्ड मंडपों की संख्या 550 है। वहीं, छोटे-मोटे मंडपों को मिलाकर यह संख्या करीब 1500 के आसपास हो जाती हैं। इनमें वे स्कूल भी शामिल हैं, जहां पर शादी के आयोजन होते हैं, लेकिन इस बार रजिस्टर्ड मंडपों की 550 शादियां कैंसिल हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक पूरे जिले में चतरीबन 1500 शादियां अक्षय तृतीया के दिन होनी निश्चित हुई थी। इन शादियों की तैयारियां कई महीने पहले से चल रही थी, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते सब कुछ धरा रह गया है। विपुल सिंघल ने बताया कि आज हालात यह हैं कि बैंड बाजे और हलवाई का काम करने वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। सभी मंडपों की बुकिंग कैंसिल हो चुकी है।

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मेरठ में 300 बैंड वाले, 500 हलवाई और 275 टैंट हैं वाले
विपुल सिंघल ने बताया कि मेरठ में 300 बैंड वाले हैं और 500 के आसपास हलवाई हैं, जो कि सीधे मंडप एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं। अप्रैल, मई और जून के महीनों में इन लोगों को शादी-ब्याह के काम से बिल्कुल फुर्सत नहीं मिलती थी। अक्षय तृतीया पर हालात ये होते हैं कि हलवाइयों को कई-कई बुकिंग कैंसिल करनी पड़ती थी। मेरठ में हलवाई का काम करने वाले खेमा हलवाई ने बताया कि उनके पास अकेले अक्षय तृतीया की 10 बुकिंग थी। इनमें से तीन तो नवंबर 2019 में ही आ गई थी। बाकी उनके पास जनवरी और फरवरी माह में आई थी, लेकिन अब सब कैसिंल करनी पड़ रही है। वहीं, राजू बैंड के राजेश ने बताया कि इन दिनों में वे लोग एक दिन में 3-3 शिफ्टों में काम करते थे। बैंड बजाने के लिए लोगों को बाहर से बुलाना पड़ता था। इस बार सब ठप हो गया है। कुछ ऐसा ही हाल टेंट वालों का है। जिले में 275 टैंट वाले हैं। इस बार इनका धंधा भी बिल्कुल लॉक हो गया है।

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कपड़े, ज्वैलरी, फर्नीचर बाजार पर भी असर

अप्रैल के पहले सप्ताह से ही शादी की तैयारियां भी शुरू हो जाती थी। लोग कपड़े, ज्वैलरी और फर्नीचर का सामान खरीदने के लिए बाजार की ओर रूख करते थे। शादी के सीजन में इन व्यापारियों को भी मोटी आमदनी होती थी। इस बार इन व्यापार को भी करीब 30 लाख का झटका कोरोना ने दिया है।

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इस कारण होती है अक्षय तृतीया पर अधिक शादियां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया को विवाह के लिए स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त माना जाता है। अक्षय तृतीया साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में से एक है। इस दिन को इतना ज्यादा शुभ माना जाता है कि इस दिन बिना ज्योतिषीय परामर्श के भी विवाह संपन्न कराए जाते हैं। भविष्य पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है कि अक्षय तृतीया के दिन से ही सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। लॉकडाउन की वजह से भारत में यह पहली अक्षय तृतीया है जब विवाह नहीं होंगे। कोरोना वायरस के तेजी से फैलते इन्फेक्शन और पूरे देश में लगे लॉकडाउन की वजह से अक्षय तृतीया के दिन होने वाले सभी वैवाहिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं।

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