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घर में मंदिर इस दिशा में स्थापित करें, इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान, बदल जाएगी किस्मत समीपस्थ तीर्थ पर करें गंगा पूजन पंचागीय गणना के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी गंगा दशमी या गंगा दशहरा के नाम से जानी जाती है। इस बार 12 जून को गंगा दशहरे पर दिव्य संयोग बन रहा है। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस बार गंगा दशहरा पर वैसे ही 10 दिव्य महायोग बन रहे हैं, जिन योगों में देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। उन्होंने बताया कि पंचागीय गणना से देखने पर बीते 75 साल में इस प्रकार का दिव्य संयोग नहीं बना है। हेमाद्री कल्प में शृंगी ऋषि ने 10 दिव्य योग में गंगा का पूजन तथा अन्य तीर्थ के लोगों को समीपस्थ तीर्थ पर गंगा पूजन करने को कहा है। ऐसा करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। गंगा अवतरण के समय विद्यमान थे। यह दस योग ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार का दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या राशि के चंद्रमा व वृषभ राशि के सूर्य को दश महायोग कहा गया है। ज्योतिषाचार्य कैलाश नाथ ने बताया कि इस योग में गंगा स्नान करने से विशेष पुण्य मिलता है। दान का भी अपना विशेष महत्व है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2019: वट वृक्ष की पूजा आैर व्रत रखने से सुहागिनों की पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं गंगा स्नान पर कटते हैं ये पाप ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। यह तिथि गंगा दशहरा के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस दिन गंगा में स्नान, अन्न-वस्त्र आदि का दान, जप-तप-साधना और व्रत करना बहुत ही लाभकारी माना गया है। गंगा स्नान करने से तीन तरह के कायिक, चार तरह के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक पाप दूर होंगे। यानि गंगा का ध्यान आैर गंगा स्नान से व्यक्ति दस प्रकार के पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, परनिंदा से मुक्त हो जाएगा। इतना ही नहीं अवैध संबंध, अकारण जीवों को कष्ट पहुंचाने, असत्य बोलने व धोखा देने से जो पाप लगता है, वे पाप भी गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान से कट जाएंगे।
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