पूरा कार्तिक मास त्योहारों का ही महीना होता है। बेहद पवित्र इस मास में लोक आस्था और विश्वास के कई त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है आंवला नवमी। इस बार आंवला नवमी 10 नवंबर को मनाई गई।
भारतीय संस्कृति में लगभग सभी त्योहार सांझी संस्कृति समेटे हुए हैं। सभी लोग मिल जुल कर हर त्योहार को मनाते..इससे प्यार ,सद्भाव ,सदाचार और भाईचारे की भावना का विकास होता है।
आंवला नवमी मनाने के पीछे पौराणिक कारण के साथ ही साथ वैज्ञानिक कारण भी हैं। आंवला विटामिन सी का बहुत ही अच्छा स्रोत है। पुराने समय में जब इतनी दवाएं और एंटीबायोटिक्स नहीं थे उस समय यह आंवला मौसमी बीमारियों को दूर करने का एक बहुत ही अच्छा साधन था। आंवले को आयुर्वेद में ’रसायन ’ की संज्ञा दी गई है। इससे तमाम आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण किया जाता है।
वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आंवले में भगवान विष्णु और शिव दोनों का वास होता है। इसके नीचे भोजन बनाने और भोजन करने से सुख,समृद्धि और धन धान्य की प्राप्ति होती है।
कहते हैं सबसे पहले लक्ष्मी जी ने विष्णु और शिव दोनों के पूजन के लिए आंवले के पेड़ को चुना था और उसके नीचे भोजन बना कर दोनों को परोसा था। चूंकि उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी थी, इस लिए इस दिन को आंवला नवमी कहा जाता है। इसके पूजन से लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।