एक प्रतिष्ठान मालिक राजकिशोर भारती ने बताया कि रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये सावन के महीने में आता है और ब्रज में इसका अलग ही महत्व है। इस मौसम में फैनी और घेवर का विशेष महत्व है। इसकी वजह है कि इस महीने में बारिश के चलते नमी होती है। उन्होंने बताया कि जितनी अच्छी बरसात और नमी होगी, घेवर और फैनी भी उतनी ही अच्छी बनेगी। उन्होंने बताया कि जितनी ज्यादा इसमें नमी आती है, ये दोनों चीजें उतनी ही मुलायम और स्वादिष्ट हो जाती हैं। इसके अलावा जितनी भी मिठाइयां होती हैं, उनमें नमी के चलते चिपचिपापन आ जाता है।
राजकिशोर भारती बताते हैं कि समय के साथ घेवर भी कई तरह के बनने लगे हैं। पहले तो घेवर मैदे में पानी डालकर घोल तैयार करके बनाया जाता था। लेकिन अब मैदे के घोल बनाते समय पानी नहीं डाला जाता, उसमें दूध मिलाया जाता है। फिर उसे उसे बनाया जाता है। इसके अलावा केसरिया घेवर देसी घी और चीनी मिलाकर तैयार किया जाता है। केसरिया घेवर कई दिनों तक खराब नहीं होता। इसके अलावा एक मलाई घेवर बनाया जाता है जिसमें खोए का प्रयोग किया जाता है। इन घेवरों में कई तरह के मेवा आदि का प्रयोग भी होता है।
बता दें कि शादी के बाद पहली बार पड़ने वाले रक्षाबंधन पर लड़की के ससुराल में मायके वाले सरगी लेकर जाते हैं। इस बीच फैनी, घेवर व बूरा आदि भेजा जाता है। इसके लिए रक्षाबंधन के दिन सुबह से ही मिठाई की दुकानों पर घेवर और फैनी खरीदने वालों की कतार लग जाती है। इस दौरान लड़की के ससुराल में गए मेहमानों की खूब आवभगत की जाती है। महिलाएं गीत-मल्हार व झूलों का आनंद उठाती हैं।