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मथुरा

#UPDusKaDum गोवर्धन पर्वत के समाप्त होते ही खत्म हो जाएगा कलियुग, जानिए इस पर्वत से जुड़ी दस खास बातें…

जानिए गोवर्धन पर्वत का महत्व व इससे जुड़े तमाम जरूरी तथ्य।

मथुराAug 22, 2019 / 12:58 pm

suchita mishra

goverdhan Parvat

goverdhan Parvat

मथुरा शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी स्थित है। इस पहाड़ी को गोवर्धन व गिरिराज नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर भगवान कृष्ण ने उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। तब से इस पर्वत की महत्ता काफी बढ़ गई। आज दूर दूर से भक्त यहां आकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाया करते हैं। जानते हैं गिरिराज जी से जुड़े दस महत्वपूर्ण तथ्य।
Krishna with Goverdhan
1. कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत शापित है। पुलस्त्य ऋषि ने इसे शाप दिया था कि एक दिन ये पृथ्वी से समाप्त हो जाएगा। उनके शाप के कारण इसका आकार हर दिन मुट्ठीभर घट जाता है। करीब पांच हजार साल पहले ये पर्वत 30 हजार मीटर ऊंचा हुआ करता था लेकिन आज लगभग 30 मीटर का ही रह गया है। मान्यता है कि जब ये पर्वत पूरी तरह पृथ्वी में समा जाएगा, तब कलियुग का अंत हो जाएगा।
goverdhan Parvat
2. पर्वत का आकार घटने को लेकर एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार पुलस्त्य ऋषि गोवर्धन पर्वत की खूबसूरती से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने द्रोणांचल पर्वत से इसे उठाकर साथ लाना चाहा तो गिरिराज जी ने कहा कि आप मुझे जहां भी पहली बार रखेंगे मैं वहीं स्थापित हो जाउंगा। रास्ते में साधना के लिए ऋषि ने पर्वत को नीचे रख दिया फिर वे दोबारा उसे हिला नहीं सके। इससे क्रोध में आकर उन्होंने पर्वत को शाप दे दिया कि वह रोज घटता जाएगा और एक दिन पृथ्वी से समाप्त हो जाएगा।
goverdhan Parvat parikrama
3. द्वापर युग में ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिये भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाया था। तब से इसकी धार्मिक मान्यता काफी बढ़ गई और इसकी पूजा शुरू हो गई। कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत की सप्तकोसी परिक्रमा लगाने सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
goverdhan Parvat parikrama
4. प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक यहां सप्तकोसी परिक्रमा लगाने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ये पूरी परिक्रमा सात कोस यानी 21 किलोमीटर की है।
Giriraj ji darshan
5. गोवर्धन पर्वत का कुछ हिस्सा राजस्थान में आता है। जिस स्थान से गोवर्धन की परिक्रमा शरू करते है वहां से करीब 5 किलोमीटर चलने के बाद राजस्थान की सीमा शरू हो जाती है।
6. गोवर्धन पर्वत की सीमा के मध्य में दुर्गा माता का मंदिर भी है। इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है पूछरी का लोंठा, यह स्थान बेहद पुराना है, इस स्थान को राजस्थान छतरी भी कहा जाता है। सदियों से यहाँ दूर-दूर से भक्तजन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने आते रहते हैं। यह 7 कोस की परिक्रमा लगभग 21 किलोमीटर की है।
Harji Kund
7. गोवर्धन पर्वत से कुछ दूरी पर एक कुंड स्थित है जिसे हरजी कुंड कहा जाता है। इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण अपने ग्वाल सखाओं के साथ गाय चराने आते थे। जब हम बड़ी परिक्रमा पूरी कर लेते है तो उसके बाद आता है चूतर टेका। यह बेहद पुराना स्थान है, यहां भगवान लक्ष्मण, भगवान राम, सीता माता और राधा-कृष्ण के मंदिर हैं।
Radha Kund
8. परिक्रमा मार्ग पर विट्ठल नामदेव मंदिर है। फिर राधा कुंड आता है। माना जाता है कि इस कुंड को राधा ने अपने कंगन से खोदकर बनाया था। राधाकुंड और श्यामकुंड में नहाने से गौहत्या का पाप भी खत्म हो जाता है।
Shyam Kund
9. श्याम कुंड का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण ने छड़ी से किया था। उन्होंने सभी तीर्थों को उसमें विराजमान किया और इसमें स्नान भी किया। कार्तिक महीने की कृष्णाष्टमी के दिन यहां स्नान का विशेष महत्व है।
Mansi Ganga
10. मानसी गंगा को लेकर मान्यता है कि जब गोवर्धन पर्वत का अभिषेक हो रहा था, उस वक्त गंगा के पानी की आवश्यकता हुई। तब सभी चिंता में पड़ गए कि इतना गंगाजल कैसे लाया जाए। तब भगवान ने अपने मन से गंगा को गोवर्धन पर्वत पर उतार दिया। पहले मानसी गंगा छह किलो मीटर लंबी गंगा हुआ करती थी। अब यह कुछ ही स्थान में सिमट कर रह गई है।

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