गोवर्धन (मथुरा)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशानुसार गोवर्धन परिक्रमा के सरंक्षणृ एवं रख-रखाब के लिए श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर विरोध के स्वर प्रखर हो गये हैं। एक ओर जहां श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर स्थानीय लोगों ने गिरिराज जी को भोग लगाकर मिठाई वितरित की तो दूसरी ओर सेवायतों ने इसे काला फैसला बताया। वहीं गोवर्धन कें प्रमुख तीन मंदिरों से तीन हेजार के करीब परिवार जुड़े हुए हैं। मंदिरों में विवाद के बाद भी कमेटी के द्वारा इन परिवारों को सहायता पहुंचती हैं। मंदिरों के अधिग्रहण और उनकी आमदनी को विकास कार्यों में लगाने पर परंपरागत मंदिरों से जुड़े परिवारों की सहायता बंद हो जाएगी। इसके अलावा उन्हीं परिवारों के सेवाधिकारी सेवा का ठेका लेते हैं। गोवर्धन में तीन प्रमुख मंदिर हैं और आपसी विवाद के चलते तीनों मंदिरों पर रिसीवर नियुक्त किये गये हैं। दानघाटी मंदिर पर 350 परिवारों के लोगों में प्रभुत्व को लेकर न्यायालय में विवाद चल रहा है। न्यायालय ने विवाद को देखते हुए करीब दो दशक से मंदिर दानघाटी मंदिर पर रिसीवर नियुक्त किया है। वहां की देखरेख प्रबंधक कर रहे हैं। मुकुट मुखारविंद मंदिर पर भी लंबे समय से रिसीवर नियुक्त है। जतीपुरा मुखारविंद मंदिर पर आये दिन लड़ाई को देखते प्रशासन के हस्तक्षेप से तहसीलदार गोवर्धन को रिसीवर नियुक्त किया है। इन तीनों मंदिरों पर भले ही रिसीवर नियुक्त हों, लेकिन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप इन मंदिरों से जुड़े परिवारों को लाभ पहुंचता है।
करोड़ों रूपये की आमदनी का जरिया हैं गोवर्धन मंदिर गोवर्धन में गिरिराज जी के मंदिरों पर चढ़ावा सालभर में करोड़ों रूपये में आता है और इन मंदिरों की सेवा का ठेका 50 लाख से एक करोड़ तक प्रत्येक महीने का उठता है। शासन-प्रशासन की नजर इन मंदिरों से होने वाली आमदनी पर है। गोवर्धन में आने वाले साल में श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में हैं। प्रत्येक महीने 25 लाख भक्त यहां गिरिराज जी की परिक्रमा करने आते हैं, जबकि मुड़िया पूर्णिमा मेला पर 80 लाख से लेकर एक करोड़ लोग परिक्रमा करने आते हैं। व्यवस्थाओं के नाम पर यहां प्रशासन की ओर से व्यवस्थाएं की जाती हैं लेकिन यातायात जाम व वाहनों की पार्किंग न होने से श्रद्धालु परेशान रहते हैं।
350 परिवारों को मदद दी जाती है मंदिर के रिसीवर न्यायालय के जज द्वारा व्यवस्थाओं के लिए दानघाटी मंदिर पर नियुक्त किये गये प्रबंधक डालचंद चैधरी ने बताया कि उनको अभी तक शासन से श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर कोई सूचना नहीं है। मंदिर प्रशासन की ओर से परिक्रमा मार्ग में समुचित व्यवस्थाएं कराई जाती हैं। मंदिर प्रशासन 350 परिवारों के बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति, विधवा, वृद्धा पेंशन, कन्याओं की शादी के लिए धनराशि प्रदान करता है। श्राइन बोर्ड का गठन मंदिर की पूर्व से चली आ रही परंपरा से अलग नहीं होना चाहिए।
फैसले का विरोध गोवर्धन गिरिराज दानघाटी मंदिर की सेवा पूजा करने वाले विष्णु पुरोहित का कहना है कि एनजीटी के आदेश के बाद गंगा-यमुना की सफाई तो सरकार पर अभी तक नहीं हुई लेकिन गोवर्धन में मंदिरों की अधिग्रहण को लेकर सेवा पूजा करने वाले पुजारियों का जीवन-यापन सरकार बंद करना चाहती है। सरकार के ऐसे फैसले का विरोध किया जाता है।
यह भी पढ़ेंश्राइन बोर्ड के गठन से सुधरेगी गोवर्धन के मंदिरों की दशा, जानिए जनता की प्रतिक्रियाचार हजार लोग बेरोजगार हो जाएंगे गोवर्धन जतीपुरा मुखारविंद मंदिर के सेवायत महेश मुखिया ने बताया कि श्राइन बोर्ड के लगने से आन्यौर व जतीपुरा के करीब चार हजार परिवार के लोग बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार ने प्राचीन परंपरा से छेडछाड की तो विरोध होगा। मुकुट मुखारविंद मंदिर दसविसा गोवर्धन के सेवाधिकारी मनोज शर्मा का कहना है कि श्राइन बोर्ड का गठन नहीं होना चाहिए। इसके आने से स्थानीय लोगों को बेहद परेशानी हो जाएगी। श्राइन बोर्ड को नहीं आने दिया जाएगा।
श्राइन बोर्ड बनना चाहिए जतीपुरा मुखारविंद मंदिर पर दर्शन करने आई फरीदाबाद निवासी उमा शर्मा ने बताया कि श्राइन बोर्ड के गठन से परिक्रमा मार्ग में व्यवस्थाएं सुचारू होंगी। अभी यहां गंदगी समस्या ज्यादा है। श्राइन बोर्ड का गठन होना चाहिए। गोवर्धन में श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर दिल्ली से आये रविन्द्र आहूजा ने बताया कि श्राइन बोर्ड का गठन होना चाहिए। श्राइन बोर्ड के गठन से अधिकारी व्यवस्थाएं कराएंगे। सरकार की सोच धार्मिक नगरी की तरक्की को लेकर है।