शनिवार को राया के सादाबाद रोड स्थित एसएसडी पब्लिक स्कूल में एसएसआई सर्वेश पाल ने बच्चों को भरोसा दिलाया कि कोई बच्चा चोर नहीं आ आया है, केवल अफवाह फैलाई जा रही है। दूसरी शिक्षण संस्थाओं में भी बच्चों को यही समझाया जा रहा है। पुलिसकर्मी शिक्षण संस्थाओं में पहुंच रहे हैं। कालेज प्रबंधन भी अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहे हैं। अभिभावकों को समझाया जा रहा है कि वह अपने बच्चों से भयभीत करने वाली किसी तरह की कोई बात न करें। थाना हाईवे क्षेत्र में हुई बच्चे की हत्या से हालात और बिगड़ गये थे। पुलिस ने 24 घंटे में पुलिस ने 5 वर्षीय मासूम कृष्णा की हत्या का खुलासा कर दिया। पड़ोस के ही रहने वाले योगेश ने कुकर्म के प्रयास के बाद मासूम की हत्या की थी। थाना हाईवे इलाके के इंडस्ट्रियल एरिया में मासूम कृष्णा का शव मिला था। कच्छाधारी गिरोह द्वारा मासूम बच्चे की हत्या की आशंका जताई जा रही थी, जो निर्मूल साबित हुई।
थाना हाईवे इलाके के इंडस्ट्रियल एरिया में 8 अगस्त को करीब 3 बजे खाली प्लॉट में 5 वर्षीय कृष्णा का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई थी। घटना से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश था। स्थानीय लोगों ने मासूम बच्चे को शब को रख कर काफी समय तक हंगामा किया। दूसरे दिन भी लोगों ने हंगामा काटा था। एसपी सिटी के साथ हाथपाई तक कर दी थी। एसएसपी शलभ माथुर के नेतृत्व में स्वाट टीम, सर्विलेंस टीम, स्थानीय पुलिस और सर्किल सीओ की टीम लगातार घटना के खुलासे में लगी थी। एक सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद घटना का खुलासा हुआ। हत्यारोपी योगेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
पुलिस के सामने जितनी जटिल चुनौती 5 साल के बच्चे कृष्णा की हत्या के खुलासे की थी, उससे बडी समस्या इस घटना की आड में वायरल हो रहे डर को थामने की थी। लोगों का गुस्सा बढ़ रहा था। मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं के लिए माहौल मुफीद हो चला है। इसके लिए जरूरी था कि इस हत्याकांड का जल्द खुलासा किया जाए। पुलिस कितने दबाव में थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रात को 10 बजे एसएसपी शलभ माथुर ने पत्रकार वार्ता की, जिससे वायरल हो रहे डर को थामा जा सके।
यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि इस तरह के डर को फैलने से रोकने के लिए पुलिस कितनी तैयार है। पुलिस के पास ऐसा कोई तंत्र अभी विकसित नहीं हुआ है कि वह वायरल होने वाले डर को नियंत्रित कर सके। इंटरनेट जैसी सेवाओं को बाधित करने के अलावा पुलिस और ज्यादा कुछ करने की स्थिति में अभी नहीं है। अफवाह फैलाने वाले किसी समय खतरनाक मंसूबों को भी अंजाम दे सकते हैं।
बीएसए डिग्री कालेज में पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर आनंद त्रिपाठी ने बताया कि लोग मीडिया और सोशल मीडिया में अभी अंतर नहीं समझ पा रहे हैं। मीडिया को लेकर लोगों की परिपक्वता अभी इतनी नहीं है कि वह मीडिया और सोशल मीडिया के बीच के अंतर को समझ सकें। भारत जैसे देश में अभी भी मीडिया सूचना और सोशल मीडिया खौफ या डर फैलाने का माध्यम बने हुए हैं। जबकि कुछ लोग सोशल मीडिया को ही मीडिया मानने लगे हैं, यह गलत है और घातक भी है।
यहां वहां बच्चा चोर पकडे जाने, कच्छाधारियों को देखने या भिड़ने की लोग लगातार चर्चा कर रहे हैं। जितने मुहं उतनी बातें हो गई हैं। इस बीच आमआदमी भी चकरा रहा है। वहीं लोग यह भी कहने लगे हैं कि जो बातें अखबार में आ रही हैं वही सही हैं, घटना होगी तो अखबार में भी तो आएगी।
बडी संख्या में सोशल मीडिया में पोर्टल और यूट्यूब चैनल का चलन बढ़ रहा है। हूबहू चैनल जैसे दिखने वाले इनके प्रसारण भी लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। जबकि इनमें से अधिकांश पोर्टल और यूट्यूब चैनल हैं। जिम्मेदार और मीडिया की बारीकियां समझने वाले लोगों द्वारा नहीं चलाए जा रहे हैं। कहीं का भी वीडियो, कहीं की सूचना के साथ लगातार इन पर वायरल हो रहे हैं। बच्चों के कटेफटे शरीर, बच्चों के शव इन पर वायरल हो रहे हैं, जिससे लोग भ्रमित और खौफजदा हैं।