बाहरी को उतार भाजपा 17 व कांग्रेस ने 8 बार हासिल की सफलता
हालांकि संसदीय क्षेत्र की किसी भी सीट पर संसदीय क्षेत्र के बाहर के नेता ने आकर चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन मंदसौर व नीमच जिले की सीटों पर मंदसौर के नेता अपनी सीट छोड़कर अन्य सीटों पर चुनाव लड़े। इसमें भाजपा से कैलाश चावला व जगदीश देवड़ा ने सफलता पाई तो कांग्रेस से नरेंद्र नाहटा, भंवरलाल नाहटा व धनसुखलाल भाचावत ने सफलता पाई। गरोठ में एक बार बाहरी के रुप में सुवासरा के नानालाल पाटीदार चुनाव लड़े व हार गए तो नीमच में भी बाहरी का ट्रेंड नहीं है। वहीं जावरा में भी अब तक बाहरी को कभी टिकिट नहीं मिला।
भाजपा में 7 बार देवड़ा तो 5 बार चावला
भाजपा ने सीतामऊ, मल्हारगढ़ व मनासा सीट पर सबसे अधिक बार बाहरी को मौका दिया। गरोठ में सिर्फ एक बार बाहरी को मौका दिया और हार का सामना करना पड़ा। सबसे अधिक बार जगदीश देवड़ा 3 बार मल्हारगढ़ व 4 बार सुवासरा से बाहरी होकर चुनाव लड़े तो कैलाश चावला सीतामऊ व मनासा दोनों जगहों से मिलाकर 5 बार चुनाव लड़े। 1967 में राजेंद्रसिंह सिसोदिया सीतामऊ, 1977 में मंदसौर से सुंदरलाल पटवा, वर्ष 1980, वर्ष 1985 में सीतामऊ से कैलाश चावला, वर्ष 1985 में गरोठ से नानालाल पाटीदार, वर्ष 1990, वर्ष 1993, वर्ष 1998, वर्ष 2003 में सुवासरा से जगदीश देवड़ा, 2003 में मनासा से कैलाश चावला, वर्ष 2008 में मनासा से कैलाश चावला, मल्हारगढ़ से जगदीश देवड़ा, वर्ष 2013 में मल्हारगढ़ से जगदीश देवड़ा, मनासा से कैलाश चावला, वर्ष 2018 में मल्हारगढ़ से जगदीश देवड़ा ने चुनाव लड़ा।
कांग्रेस से सर्वाधिक 8 बार नाहटा पिता-पुत्र की जोड़ी ने लड़ा चुनाव
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में सर्वाधिक नाहटा पिता-पुत्र की जोड़ी ने बाहरी होकर मनासा व सीतामऊ सीट से चुनाव लड़ा। वहीं धनसुखलाल भाचावत ने 3 बार सीतामऊ सीट से चुनाव लड़ा। वर्ष 1957 सीतामऊ से भंवरलाल नाहटा, 1962 में भंवरलाल नाहटा, 1972 धनसुख लाल भाचावल, 1977 में सीतामऊ से भंवरलाल नाहटा, 1980 में सीतामऊ से धनसुखलाल भाचावत, 1985 से मनासा से नरेंद्र नाहटा, 1990 से मनासा से नरेंद्र नाहटा, सीतामऊ से धनसुखलाल भाचावत, 1993 मनासा से नरेंद्र नाहटा, 1998 मनासा से नरेंद्र नाहटा, 2003 में मनासा से नरेंद्र नाहटा, 2008 में जावद से रघुराजङ्क्षसह चौरडिय़ा, 2018 में मनासा से उमरावसिंह गुर्जर ने चुनाव लड़ा।