यहां पढ़ें पूरा मामला
यह पूरा मामला प्रदेश के वित्त वाणिज्यकर मंत्री जगदीश देवड़ा के विधानसभा क्षेत्र के ग्राम झारड़ा का है। यहां अन्नूपुरा रोड पर संचालित शारदा विद्या निकेतन स्कूल में बड़ी बहन की स्कूल फीस बकाया होने के कारण अनिवार्य शिक्षा के तहत पढऩे वाली छोटी बहन को तीन दिन से स्कूल में बैठने नहीं दिया जा रहा है। यह छोटी बहन अनिता पंवार कक्षा छह की स्टूडेंट हैं। अनिता का कहना है कि तीन दिन से उसे स्कूल बस में भी नहीं बैठाया जा रहा है। किशनगढ़ से पैदल चलकर स्कूल जा रही है। स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। स्कूल हॉल में भी नहीं बैठने दिया गया और उसे स्कूल के बाहर खड़ा किया जा रहा था। इस मामले को लेकर अनिता के पिता चांदमल पंवार विभागीय अधिकारी के पास पहुंचे। इसके बाद विभाग की ओर से स्कूल को नोटिस जारी किया गया है।
जनपद शिक्षा केंद्र ने जारी किया नोटिस
मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्यालय जनपद शिक्षा केंद्र मल्हारगढ़ कार्यालय की ओर से स्कूल को नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस में कहा गया है कि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (सी) के अंतर्गत कमजोर और वंचित समूह के बच्चों के नि:शुल्क प्रवेश के प्रावधान के तहत लाटरी के माध्यम से स्टूडेंट कुमारी अनीता पिता चांदमल पवार आपकी संस्था में प्रवेशित है। पालक की शिकायत के अनुसार, छात्रा को कक्षा में नहीं बैठाया जा रहा है, जिससे छात्रा की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिकायत के संदर्भ में मेरे द्वारा संचालक रोहित पाटीदार से मोबाइल पर जानकारी लेने पर भी छात्रा को कक्षा में नहीं बिठाया जाएगा बताया गया। बता दें कि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (सी) के अंतर्गत कमजोर और वंचित समूह के बच्चों के नि:शुल्क प्रवेश के प्रावधान का उल्लंघन है। क्यों न आपकी शाला की मान्यता समाप्ति हेतु वरिष्ठ कार्यालय को लिखा जाए। इस संबंध में अपना स्पष्ट प्रति उत्तर तीन दिवस में समक्ष में उपस्थित होकर देना सुनिश्चित करें। समय सीमा में उत्तर न देने की स्थिति में वैधानिक कार्रवाई का समस्त उत्तरदायित्व आपका रहेगा।
संकुल प्राचार्य मुकेश प्रजापति शाउमा विद्यालय झारड़ा ने कहा कि छात्रा को कक्षा से निकालना गलत है। छात्रा नि:शुल्क आरटीई में है तो पढ़ेगी, इस बारे में चर्चा हुई है।
जानें क्या बोले पिता
बच्ची के पिता का कहना है कि उनकी बच्ची को स्कूल में आरटीई के तहत नि:शुल्क प्रवेश दिया गया था, उसे स्कूल में नहीं आने दिया जा रहा है। बच्ची बस से आती है। उसका किराया देने को वे तैयार हैं। उनका कहना है कि पैसे लेकर वो स्कूल आए भी लेकिन स्कूल संचालक ने पैसे नहीं लिए और बेटी को स्कूल में भी नहीं आने दिया। उनकी बेटी गांव किशनगढ़ से पैदल चलकर आती है और स्कूल आते ही उसे कक्षा में नहीं बैठाया जाता, बल्कि तेज धूप में खड़ा किया जा रहा है।