नेत्र चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना से पहले जहां माह में 100 बच्चे आंखों से संबंधित समस्या लेकर डॉक्टरों के पास पहुंच रहे थे। अब उनकी संख्या में दोगुना वृद्धि हो गई है। यानिकी माह में 200 के करीब ऐसे बच्चों की संख्या पहुंच चुकी है। जिनकी उम्र 3 साल से लेकर 18 साल तक है।
10 घंटे तक बैठते हैं स्क्रीन के सामने
कोरोना कॉल में विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरु की गई। इन विद्यार्थियों में कक्षा पहली से लेकर एमबीबीएस से लेकर सभी कोर्स के बच्चे शामिल है। ऑनलाइन कक्षाएं छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों की एक घंटा तो बड़े विद्यार्थियों की तीन से चार घंटे तक भी चली है। इसके बाद उसके बाद दिए गए होमवर्क को पूरा करने के लिए फिर से मोबाइल या लेपटाप के सामने बैठना पड़ता है। ऐसे में औसतन एक विद्यार्थी तीन से 10 घंटे तक डिवाइस के सामने बैठकर काम करता है। उसके बाद कुछ समय टीवी भी देखते है।
मोबाइल की आदत से आंखों पर असर
ऑनलाइन पढ़ाई करने के साथ-साथ कई विद्यार्थी मोबाइल पर गेम भी खेलने लगते है। पढ़ाई के िलए अलावा वे मोबाइल पर समय बिता रहे है। और लेपटाप महंगा होने के कारण ज्यादातर बच्चों ने मोबाइल पर ही पढ़ाई की है। तो कई सिंगल फैमली में भी बच्चे अधिक समय मोबाइल पर बिताते है। वहीं जो छोटे बच्चे जिद करते है तो माता-पिता उनको मोबाइल दे देते है। और अपना काम करने लगते है। ऐसे में बच्चे घंटो तक मोबाइल देखा करते है।
सबसे अधिक सिरदर्द और आंखों में जलन
डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों को वर्तमान में सिरदर्द, आंखों में जलन, थकावट, आंखे ड्राय होना, नींद पर्याप्त नहीं निकालना, चिड़चिड़ाहट आना जाना जैसे आ रहे है। इनमें सबसे अधिक लक्षण सिरदर्द और आंखों में जलन वाले आ रहे है। जिसमें 95 से 97 फीसदी को आंखों के लिए चश्म लगाया जा रहा है। इनमें 3 वर्ष से लेकर 18 वर्ष के बच्चे ही सबसे अधिक है।
-इलेक्ट्रीक डिवाइस का कम से कम उपयोग करें।
-नींद अच्छी लें।
-मोबाइल या लेपटॉप पर काम करते समय हर आधे घंटे में दो मिनिट का रेस्ट अनिवार्य रूप से ले।
-समय पर बच्चों को खाना खिलाएं।
इनका कहना..
मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई, अधिक समय तक मोबाइल देखना तो अन्य इलेक्ट्रीक डिवाइस पर लगातार काम करने से आंखों को प्रभावित करती है। और नजर कमजोर होती है। कोरोना से पहले आंखों की समस्या लेकर मान लो माह में 100 बच्चे आते थे। तो अब उनकी संख्या 200 हो गई है। इनमें 3 से लेकर 18 वर्ष के बच्चों की संख्या अच्छी खासी है। तो कई विद्यार्थी जिनके कम नंबर का चश्मा लगता था। उनका नंबर बढ़ गया। ऐसे ही वर्क फार्म हेाम में काम करने वालों के साथ भी समस्या आई है।
-डॉक्टर मजहर हुसैन, नेत्र रोग विशेषज्ञ।