बताया गया कि करीब 138 साल से इस मंदिर में जन्माष्टमी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। भजन, कीर्तन, अभिषेक समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। कृष्ण जन्म के मुहूर्त में पूरा क्षेत्र राधे कृष्ण की आवाज से गुंजायमान हो जाता है। शंख, घंटियों की धुन चारों तरफ सुनाई देती है। भक्त इनके दर्शन को आतुर रहते है। नर्मदा किनारे त्रिवेणी संगम में बने इस मंदिर का सौंदर्य भी देखते ही बनता है। मंदिर को नर्मदा के दूसरे छोर महारापुर संगम व राजराजेश्वरी वार्ड से भी देखा जा सकता है। मंदिर की पूजा अर्चना भले ही पूजारी का परिवार करता हो लेकिन देखरेख की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन को है। समय समय पर मरम्मत व रंगरोगन का कार्य भी किया जाता है।